वियतनाम की अध्यक्षता में हाल में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान की 36वीं शिखर वार्ता में दक्षिण चीन सागर विवाद छाया रहा. शिखर वार्ता में वियतनाम के प्रधानमंत्री नयूयेन शुआन फुक ने अपने अध्यक्षयीय भाषण में इस मुद्दे को मुखर हो कर उठाया और कहा कि दक्षिण चीन सागर के विवाद को अंतरराष्ट्रीय कानूनों, खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ लॉ ऑफ सी के माध्यम से शांतिपूर्वक ही सुलझाया जाना चाहिए.
चीन की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ देश इस मामले को अनावश्यक ढंग से पेचीदा बना रहे हैं जो गलत है. आसियान के तमाम देशों ने इस वक्तव्य का समर्थन किया और दक्षिण चीन सागर के विवाद को सुलझाने के लिए विचार विमर्श के लिए चीन पर दबाव डाला. इस घटनाक्रम के बाद चीन ने एक बार फिर आसियान से विवाद सुलझाने के लिए बातचीत शुरू करने का वादा किया है. साथ ही साथ दक्षिण चीन सागर में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने सैन्य अभ्यास कर यह भी जता दिया है कि चीन दक्षिण चीन सागर में अपने दावे से पीछे नहीं हटेगा.
दक्षिण चीन सागर में सैकड़ों द्वीप, चट्टान, और एटोल हैं जिनमे से प्रमुख हैं स्प्रेटली, पारासेल, और स्कारबोराघ शोअल. चीन के अलावा ब्रूनेई, मलेशिया, फिलिपींस, ताइवान और वियतनाम इन द्वीप समूहों पर अपनी दावेदारी रखते हैं. हालाकि इंडोनेशिया सीधे तो इस विवाद में नहीं उलझा है लेकिन चीन उसके नतुना द्वीप के तहत आने वाले एक्सक्लूसिव इकनोमिक जोन पर भी कब्जा जमाना चाहता है. इन सभी देशों की सीमा दक्षिण चीन सागर से जुड़ी है, और इसीलिए इन देशों के लिए इस क्षेत्र का महत्व बहुत ज्यादा है. दक्षिण चीन सागर वैश्विक व्यापार की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. माना जाता है कि समुद्र तल के नीचे प्राकृतिक गैस, तेल और खनिज संसाधनों की प्रचुरता भी विवाद की एक बड़ी वजह है.