जर्मनी कोरोना वायरस को लेकर देशभर में जारी लॉकडाउन में कोई ढील नहीं देगा. तीन हफ्ते बाद हालात की समीक्षा की जाएगी. देश में आर्थिक और सामाजिक जीवन के ठप हो जाने के कारण एक्जिट रणनीति पर बहस छिड़ गई है.
जर्मनी के चांसलर कार्यालय मंत्री हेल्गे ब्राउन ने साफ किया है कि 20 अप्रैल से पहले सार्वजनिक जीवन पर लगाई गई पाबंदियों में कोई ढील नहीं दी जाएगी. जर्मनी में एक हफ्ते से सारे रेस्तरां, सिनेमाघर, कैफे, बार और जरूरी सेवा न मुहैया कराने वाली दुकानें बंद हैं. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में स्कूल और यूनिवर्सिटियां भी बंद हैं.
जर्मनी के प्रमुख दैनिक डेय टागेसश्पीगेल से बात करते हुए ब्राउन ने कहा, “हम 20 अप्रैल तक किसी भी ढूील के बारे में बात नहीं करेंगे. सारे कदम जारी रहेंगे.” ईस्टर के त्योहार के बाद कोविड-19 के प्रसार का मूल्यांकन करने के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा.
ब्राउन ने कहा,अगर हम इंफेक्शन के फैलने की दर को घटाकर कर इतना कर सके कि वह 10-12 या उससे ज्यादा दिनों में दोगुना फैले, तो हमें पता चलेगा कि हम सही रास्ते पर हैं. फिलहाल जर्मनी में संक्रमण के डबल होने की दर पांच दिन है. कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों की संख्या के लिहाज से जर्मनी पांचवें नंबर पर हैं. देश में अब तक कोविड-19 के 57 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 455 लोगों की मौत हुई है.
बेहतर मेडिकल सुविधाएं, बुजुर्गों का कम इफेक्ट होना और बड़ी संख्या में हो रहे टेस्टों की वजह से जर्मनी में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या तुलनात्मक रूप से काफी कम है. जर्मन समाज पर कोरोना वायरस के आर्थिक असर को कम करने के लिए सरकार 750 अरब यूरो के राहत पैकेज का भी एलान कर चुकी है. इस पैकेज से परिवारों, पेंशनधारियों, कर्मचारियों और कंपनियों की मदद की जाएगी.