महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सोमवार को बताया कि उसने राज्य की नौ सिंचाई परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं की जांच बंद कर दी है. एजेंसी ने इसके साथ ही स्पष्ट किया कि ये मामले उप मुख्यमंत्री अजित पवार से जुड़े हुए नहीं हैं.
एसीबी ने यह सफाई विपक्षी कांग्रेस के इस दावे के बाद दी कि दो दिन पहले सरकार बनाने में भाजपा की मदद करने की वजह से अजित पवार को ‘‘दोषमुक्त’’ कर दिया गया है. एसीबी अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’से कहा कि 2013 में हुए सिंचाई घोटाले से जुड़े ऐसे किसी भी मामले को बंद नहीं किया गया है जिनमें कथित तौर पर अजित पवार का नाम है.
महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के सूत्रों का कहना है कि आज जो मामले बंद किए गए वे कंडीशनल थे, यदि मामले में अधिक जानकारी सामने आती है या अदालतें आगे की जांच का आदेश देती हैं तो उन्हें फिर से खोला जाएगा.
ACB के महानिदेशक, परमबीर सिंह ने ANI को बताया, “हम सिंचाई संबंधी शिकायतों में लगभग 3000 निविदाओं की जांच कर रहे हैं. ये नियमित पूछताछ हैं जो बंद की गई हैं और सभी चल रही जांचें अभी भी जारी है जैसा कि वे पहले थीं.” उन्होंने आगे कहा कि आज जो भी मामले बंद हुए, उनमें से कोई भी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री, अजित पवार से संबंधित नहीं हैं.
बता दें कि महाराष्ट्र में 1999 से 2009 के बीच कथित तौर पर 70 हजार करोड़ रुपये का सिंचाई घोटाला हुआ था. इसी घोटाले में अजित पवार का नाम भी आया है. कई बार बीजेपी नेताओं ने अजित पवार पर इस घोटाले में आरोप भी लगाया. 28 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एनसीपी नेता अजित पवार को 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले में आरोपी ठहराया था. अजित पवार एनसीपी के उन मंत्रियों में शामिल रहे, जिनके पास महाराष्ट्र में 1999 से 2014 के दौरान कांग्रेस-राकांपा गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग का प्रभार था. हालांकि इस मामले की हाईकोर्ट में अभी भी जांच चल रही है.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की याचिका पर मंगलवार को सुबह साढ़े दस बजे अपना आदेश सुनायेगा. न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ संभवत: सदन में बहुमत सिद्ध करने का आदेश देगी.
शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने सोमवार को ही देवेन्द्र फडणवीस को सदन में अपना बहुमत सिद्ध करने का आदेश देने का अनुरोध किया लेकिन फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इसका विरोध किया. राज्यपाल कोश्यारी ने 23 नवंबर को जब फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी थी तो उन्हें अपना बहुमत साबित करने के लिये 14 दिन का समय दिया था.