रियो। ओलिंपिक में अपने दूसरे पूल मैच में अर्जेंटीना को हराने के बाद जोश से भरपूर भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपना चौथा लीग मैच नीदरलैंड से खेला। डच टीम ने भारत को 2-1 से हरा दिया। भारत को अंतिम सेकेंड में पांच पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन वह स्कोर बराबर नहीं कर पाई। ओलिंपिक इतिहास में पहली बार हॉकी में 15-15 मिनट के चार क्वार्टर रखे गए हैं। भारत के एसके उथप्पा ने अपना 100वां इंटरनेशनल मैच खेला। तीसरे क्वार्टर के अंतिम और चौथे क्वार्टर के शुरुआती मिनटों में भारत को 9 खिलाड़ियों से खेलना पड़ा, क्योंकि फाउल पर अंपायर ने सुनील और वीआर रघुनाथ को यलो कार्ड दिखा दिया था।
चौथे क्वार्टर के शुरुआती मिनटों में भारतीय टीम 9 खिलाड़ियों के साथ उतरी और तीसरे मिनट में डच टीम को दूसरा पेनल्टी कॉर्नर दे दिया। वास्तव में तीसरे क्वार्टर के अंतिम समय में दो खिलाड़ियों के यलो कार्ड का दंड चौथे में भी कुछ मिनटों तक जारी रहा। हालांकि श्रीजेश ने डाइव मारते हुए गेंद रोक ली और गोल नहीं हुआ और स्कोर 1-1 ही रहा, लेकिन डच टीम लगातार हमले करती रही। नीदरलैंड को अंतिम 8 मिनट में एक और पेनल्टी कॉर्नर मिल गया। भारतीय खिलाड़ी से डी के भीतर दूसरा फाउल हुआ और डच को तीसरा पेनल्टी कॉर्नर मिल गया, पर गोल नहीं कर पाए। डच ने हमले जारी रखे और अंतिम 7वें मिनट में एक और पेनल्टी कॉर्नर ले लिया। इस बार श्रीजेश नही बचा पाए और वान डेर वीरडेन मिंक ने गोल कर दिया और डच को मुकाबले में 2-1 से आगे कर दिया।
भारतीय टीम एक बार फिर पिछले मैचों की तरह अंतिम क्षणों में पिछड़ गई और अंतिम सेंकेंड में मिले 5 पेनल्टी कॉर्नर पर भी गोल नहीं कर पाई। शुरुआती मैच में आयरलैंड पर 3-2 की करीबी जीत के बाद भारतीय टीम को मौजूदा ओलिंपिक चैंपियन जर्मनी से 1-2 से निराशाजनक हार का मुंह देखना पड़ा था, लेकिन उसने वापसी करते हुए अर्जेंटीना पर 2-1 की अच्छी जीत दर्ज की, जिससे वह छह टीमों के पूल में शीर्ष चार में बरकरार है। अब टीम का लक्ष्य लीग चरण में जितने ज्यादा अंक हो सकें, उतने हासिल करना है ताकि वह अंतिम आठ मुकाबलों में दुनिया की नंबर एक टीम ऑस्ट्रेलिया से भिड़ने से बच सके।