पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सोमवार को हुई हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर समेत दो नागरिकों की मौत हो गई। प्रारंभिक खबरों के मुताबिक इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनसे पूछताछ की जा रही है। आखिर प्रदर्शनकारी भीड़ कैसे हुई हिंसक। यूपीए के एडीजी के मुताबिक इंस्पेक्टर की हत्या के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
3 दिसंबर को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र के एक खेत में गोकशी की आशंका के बाद बवाल शुरू हुआ। इसकी शिकायत मिलने पर कोतवाली के प्रभारी सुबोध कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे थे।
इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा रही थी, इतने में ही तीन गांव से करीब 400-500 लोगों की भीड़ ट्रैक्टर-ट्राली में कथित गोवंश के अवशेष भरकर चिंगरावठी पुलिस चौकी के पास पहुंच गई और जाम लगा दिया। उत्तेजित गौरक्षकों ने चिंगरावठी पुलिस चौकी पर जमकर तोड़फोड़ कर आग लगा दी। पुलिस की कई जीप और आधा दर्जन दो पहिया वाहन फूंक डाले गए।
इसी दौरान भीड़ जब उग्र हुई तो पुलिस ने काबू पाने के लिए लाठीचार्ज और आंसूगैस के गोले छोड़े और जल्द ही वहां फायरिंग भी होने लगी। इसमें सुबोध कुमार घायल हो गए। सुबोध कुमार को अस्पताल ले जाने से रोका गया और उनकी कार पर जमकर पथराव भी किया गया।
बुलंदशहर के जिलाधिकारी के मुताबिक सुबोध कुमार के सिर में गोली लगी थी, जिस कारण उनकी मौत हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि हमले के बाद जब सुबोध कुमार ने खेत की तरफ जाकर खुद को बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उन पर वहां भी हमला किया। अभी तक इस मामले में 75 लोगों पर केस दर्ज किया गया है और पुलिस पर हमले के मामले में 27 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। बुलंदशहर हिंसा की जांच करने के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। इस दौरान एडीजी-इंटेलिजेंस और मजिस्ट्रेट लेवल की जांच भी की जाएगी।