मथुरा। अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के खिलाफ बोलने वाले द्वारका -शारदापीठ एवं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने रविवार को कहा कि आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके बजाए समाज के हर वर्ग को उन्नति का समान अवसर देकर समाज सेवा के योग्य बनाया जाना चाहिए, तभी सभी की भलाई संभव है। उनके प्रतिनिधि द्बारा जारी बयान में यह जानकारी दी गयी है।
द्रमुक ने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषियों की रिहाई पर तमिलनाडु सरकार के फैसले का किया स्वागत
बयान के अनुसार, स्वामी ने कहा कि जिन्हें शिक्षा, नौकरी, तरक्की सभी में आरक्षण की विशेष सुविधा मिल रही हो, उन्हें कोई क्या सता पाएगा? उन्होंने प्रतिप्रश्न किया है कि जब वे आरक्षण का लाभ उठाकर उच्च पदों पर बैठे हैं, तो क्या उन्हें सता पाना सम्भव भी है। उन पर कोई कैसे अत्याचार करेगा। नेताओं को हर व्यक्ति, हर वर्ग के कल्याण के लिए सोचना चाहिए, न कि केवल किसी वर्ग विशेष के लिए।
उन्होंने कहा, ”आरक्षण पूरी तरह से समाप्त होना चाहिए और सबको उन्नति का समान अवसर देकर समाज सेवा के योग्य बनाना चाहिए। अगर बिना योग्यता के आरक्षण के आधार पर डॉक्टर बनाएंगे तो पेट में कैंची ही छोड़गा, और अगर प्रोफ़ेसर बनाएंगे तो वो पढ़ाएगा नहीं। इसी प्रकार, इंजीनियर बनाएंगे तो पुल गिराएगा। ऐसा मत करो। उन्हें भी योग्य बनने दो, उन्हें प्रतिस्पर्धा में आने दो। तब उनकी तरक्की होगी। उनको केवल वोट बैंक बनाकर रखना उनके प्रति अत्याचार के समान है। ’’ . .