20 जुलाई को राजस्थान के अलवर के रामगढ़ में भीड़ द्वारा और पुलिस की लापरवाही के चलते रकबर उर्फ अकबर खान की मृत्यु हो गई। अब इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें रकबर खान की हत्या को मॉब लिंचिंग नहीं माना गया है। अलवर पुलिस ने शुक्रवार को रामगढ़ की सिविल कोर्ट में इस चार्जशीट को दाखिल किया है।
चार्जशीट में तीन आरोपियों को रकबर की पिटाई और हत्या का आरोपी बनाया गया है, जिनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 341,323,34 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है, लेकिन पुलिसकर्मी समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ जांच लंबित रखी गई है।
जानकारी के अनुसार, 25 पेज की चार्जशीट में किसी भी पुलिसकर्मी को आरोपी नहीं बनाया गया है। पुलिसकर्मीयों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल न करने पर अलवर पुलिस ने सफाई दी है। पुलिस ने कहा है कि उनके खिलाफ मेजिस्ट्रेट जांच चल रही है। जांच के बाद तय होगा कि वो दोषी हैं या नहीं।
गौरतलब है कि राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने रकबर की मौत को कस्टोडियल डेथ माना था, उनके साथ ही पुलिस अधिकारियों की बनाई उच्चस्तरीय जांच समिति ने भी यह माना था कि रकबर की मौत पुलिस लापरवाही के चलते हुई है। आरोप पत्र में तीन आरोपियों के अलावा अन्य के खिलाफ जांच लंबित होने की बात कही गई है।
बेरहाल, जिन तीन लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है उनमें आरोपी परमजीत, धर्मेंद्र और नरेश को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इन आरोपियों में पुलिस को सूचना देने वाला विश्व हिंदू परिषद का कार्यकर्ता नवल किशोर भी शामिल है।
बता दे कि हरियाणा का रहने वाला रकबर खान और उसका दोस्त असलम गायों को लेकर जा रहे थे, तभी भीड़ ने उन पर हमला कर दिया था। भीड़ को संदेह था कि ये दोनों लोग गायों का बूचड़खने ले जा रहे हैं। हमले में रकबर की मौत हो गई और उसका दोस्त असलम बच गया।