इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ तेज़ी से कार्यवाही के लिए विशेष अदालत के गठन के प्रस्ताव पर रज़ामंदी ज़ाहिर की है।
ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख आयतुल्लाह सादिक़ आमुली लारीजानी ने देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र वरिष्ठ नेता से इस तरह की अदालत के गठन की इजाज़त मांगी थी।
आयतुल्लाह लारीजानी ने अपने निवेदन में मौजूदा आर्थिक स्थिति को आर्थिक जंग की संज्ञा दी थी।
न्यायपालिका प्रमुख के प्रस्ताव को वरिष्ठ नेता ने यह कहते हुए क़ुबूल किया कि इस तरह के ट्राइब्यूनल के गठन का उद्देश्य वित्तीय भ्रष्टाचार करने वालों को न्यायपूर्ण क़ानूनी प्रक्रिया के ज़रिए जल्द से जल्द सज़ा देना हो।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने न्यायपालिका पर बल दिया कि वह अदालतों को उनके आदेशों में प्रमाणिकता को मद्देनज़र रखने का सुझाव दे।
न्यायपालिका प्रमुख आयतुल्लाह आमुली लारीजानी ने अपने ख़त में नए ट्राइब्यूनल के दो वर्षों के लिए गठन का प्रस्ताव दिया और देश की अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुंचाने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने का निर्देश दिया है।
उन्होंने अपने ख़त में अदालत की कार्यवाही के सार्वजनिक रूप से होने पर बल देते हुए कहा कि अपराधियों के सज़ा के आदेश में किसी तरह की नर्मी नहीं होनी चाहिए।
इसी तरह इस ख़त में मौत की सज़ा के अलावा अदालत के सभी आदेश के अंतिम होने पर बल दिया गया, सिर्फ़ मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ 10 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का प्रावधान रखा गया है।
न्यायपालिका ने यह क़दम ऐसी स्थिति में उठाया है कि ईरान की राष्ट्रीय मुद्रा रियाल का मूल्य नए साल के आरंभ से अब तक दो तिहाई कम हो गया है।