लखनऊ विश्वविद्यालय में कोई भी छात्र अब धरना या किसी भी तरह का प्रदर्शन नहीं कर सकेगा। सरस्वती प्रतिमा समेत पूरे विश्वविद्यालय परिसर में इस पर रोक लगा दी गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय के शैक्षिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाए गए हैं।
उधर, छात्र संगठनों में इसको लेकर काफी नाराजगी है।
उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर विरोध के संवैधानिक अधिकार का हनन किए जाने के आरोप लगाए हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन की समन्वय समिति ने शनिवार का आयोजित की गई थी। प्रॉक्टर कार्यालय में हुई बैठक में कई फैसले लिए गए हैं।
सिर्फ तीन गेट से परिसर में होगा प्रवेश
विश्वविद्यालय परिसर में अब सिर्फ गेट नम्बर एक, गेट नम्बर चार और पांच से ही प्रवेश किया जा सकेगा। बाकी के गेट बंद कर दिए गए हैं। इसके अलावा, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव को समन्वय समिति का समन्वयक बनाया गया है। हर महीने इस समन्वय समिति की बैठक का आयोजन किए जाने का फैसला लिया गया है। पास के बिना वाहनों का प्रवेश परिसर में प्रतिबंधित कर दिया गया है। वाजिब कारण के बिना बाहरी व्यक्ति को परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।
बिना आईकार्ड नहीं आ सकेंगे छात्र
छात्रों के लिए आईकार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। बिना आईकार्ड उन्हें परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। छात्रावास में रहने वाले छात्रों को यदि वह वाहन रखते हैं तो उसकी सूचना उपलब्ध करानी होगी। जिला प्रशासन के साथ प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम छात्रावासों का औचक निरीक्षण करेगी। जिला प्रशासन विश्वविद्यालय के आसपास स्वघोषित छात्रनेताओं की ओर से लगाए गए पोस्टर और बैनर
हटाने के लिए भी तैयार हो गया है। परिसर में किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन पर भी पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला लिया गया है।
यह है मामला
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रॉक्टोरियल टीम के सदस्यों को बुधवार को परिसर में दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। उन पर पथराव भी हुआ । 12 से ज्यादा शिक्षक चोटिल हो गए। उपद्रवियों ने कुलपति प्रो. एसपी सिंह को भी नहीं बख्शा और उनके साथ भी बदसलूकी की गई। घटना के विरोध में विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ पूर्व छात्रों को नए शैक्षिक सत्र में दाखिला देने पर रोक लगाई है। इसके विरोध में सोमवार से विश्वविद्यालय में भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन चल रहा है।