उच्चतम न्यायालय बाबरी मस्जिद-राम मंदिर भूमि विवाद मामले में आज फिर से सुनवाई शुरू करेगा। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर की विशेष पीठ ने 17 मई को हिन्दू संगठनों की तरफ से पेश दलीलें सुनी थीं, जिनमें उन्होंने मुस्लिमों के इस अनुरोध का विरोध किया था कि मस्जिद को इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अदा की जाने वाली नमाज का आंतरिक भाग नहीं मानने वाले 1994 के फैसले को बड़ी पीठ के पास भेजा जाए।
अयोध्या मामले में मूल याचिकाकर्ताओं में शामिल और निधन के बाद कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा प्रतिनिधित्व पाने वाले एम सिद्दीकी ने एम इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 में आए फैसले के कुछ निष्कर्षों पर आपत्ति जताई थी।
उन्होंने पीठ से कहा था कि अयोध्या की जमीन से जुड़े भूमि अधिग्रहण मामले में की गई टिप्पणियों का, मालिकाना हक विवाद के निष्कर्ष पर प्रभाव पड़ा है।
हालांकि हिन्दू संगठनों का कहना है कि इस मामले को सुलझाया जा चुका है और इसे फिर से नहीं खोला जा सकता। शीर्ष अदालत की विशेष पीठ चार दीवानी वादों पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर विचार कर रही है।