अगर आप पड़ोस के एटीएम में पैसा निकालने जाएं और वह बंद मिले तो क्या सोचेंगे? आप यह सोचेंगे कि किसी वजह से आज एटीएम बंद है. लेकिन, ऐसे कई एटीएम हैं, जो हमेशा के लिए बंद हो गए हैं.
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KOLKATA, WEST BENGAL, INDIA – 2016/11/10: Bank employee shows new 2000 Indian rupee banknotes in a United Bank of India branch in Kolkata. People across the nation queuing up outside banks from early morning on Thursday to get new currency notes exchange of Rs.500 and Rs.1000 notes that have withdraw by the Union Government. (Photo by Saikat Paul/Pacific Press/LightRocket via Getty Images)
आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) की प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) स्कीम के तहत आने वाले बैंकों ने पिछले साल अपने 1,635 एटीएम पर ताले लगा दिए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल में इंडियन ओवरसीज और केनरा बैंक ने भी अपने कई एटीएम बंद किए शामिल हैं. ऐसे में ग्राहकों की टेंशन बढ़ती जा रही है. आपको बता दें कि एक साल में देश में एटीएम की संख्या सिर्फ 107 बढ़ी है. पिछले साल एटीएम की कुल संख्या 2,07,813 थी, जो इस साल बढ़कर 2,07,920 हो गई.
आखिर क्यों बंद हो रहे हैं ATM-आरबीआई ने 11 सरकारी बैंकों के पीसीए के दायरे में रखा है. इनकी वित्तीय हालत खराब होने के बाद केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया. इन बैंकों की हालत में सुधार के लिए नियामक ने इन बैंकों के लिए कर्ज देने के मानक भी सख्त किया है. इन बैंकों को खर्च घटाने और गैर-जरूरी भर्तियों पर रोक लगाने को कहा गया है. इसीलिए ये बैंक अपने खर्च कम करने के लिए एटीएम बंद कर रहे हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दरअसल घाटे में चल रहे सरकारी बैंकों को अपना खर्च घटाने के लिए कहा है. यह माना जा रहा है कि सरकारी बैंकों के एटीएम का फायदा उनके प्रतिद्वंदी बैंकों को हो रहा है. उनकी बाजार हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है.
आरबीआई की प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) स्कीम के तहत आने वाले बैंकों ने पिछले साल अपने 1,635 एटीएम पर ताले लगा दिए. खास बात यह है कि बैंक अपना एटीएम तब बंद कर रहे हैं, जब नकद निकासी करीब 22 फीसदी तक बढी है. इसकी बड़ी वजह ग्रामीण इलाकों में आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी है.
एक साल में देश में एटीएम की संख्या सिर्फ 107 बढ़ी है. पिछले साल एटीएम की कुल संख्या 2,07,813 थी, जो इस साल बढ़कर 2,07,920 हो गई.
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, एक एटीएम मशीन की लागत 2.5 लाख रुपये आती है. इसके अलावा इसकी ऑपरेशनल कॉस्ट 4.5 से 5 लाख रुपये के बीच है.एटीएम में रखे करीब 20 लाख रुपये पर कोई रिटर्न नहीं मिलता है. इसके अलावा कैश के प्रबंधन के साथ ही अपने नेटवर्क पर फ्री ट्रांजेक्शन सुविधा भी देनी पड़ती है. इसके चलते एटीएम बिजनेस आकर्षक नहीं रह जाता है.
पीसीए के तहत आने वाले 11 बैंकों में से 7 ने अपने एटीएम की संख्या घटाई है. इनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, कॉर्पोरेशन बैंक और यूको बैंक शामिल हैं.