बहरैन की आले ख़लीफ़ा सरकार ने लगातार 78वें शुक्रवार को देश के अल-दुराज़ इलाक़े में जुमे की नमाज़ का आयोजन नहीं होने दिया।
उल्लेखनीय है कि बहरैन के वरिष्ठ शिया धर्मगुरू आयतुल्लाह शेख़ ईसा क़ासिम इसी इलाक़े में रहते हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, इलाक़े में बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं और वह लोगों को जुमे की नमाज़ के लिए इकट्ठा होने से रोकते हैं।
बहरैन के तानाशाही शासन ने शिया मुसमलानों के वरिष्ठ नेता शेख़ क़ासिम की नागरिकता भंग करने का आदेश दिया था, जिसके बाद जून 2016 से उन्हें उनके घर में नज़रबंद कर दिया गया।
शेख़ ईसा क़ासिम पिछले 236 दिनों से अपने घर में नज़रबंद हैं और उन्हें जुमे की नमाज़ पढ़ाने या किसी से भी मिलने की अनुमति नहीं है।
बहरैन में 2014 से लोकतंत्र के समर्थन में शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी हैं, लेकिन आले ख़लीफ़ा शासन ताक़त के बल पर लोगों की आवाज़ दबाने में लगा हुआ है।