नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मालेगांव विस्फोट कांड के आरोपी ले. कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को सशर्त जमानत पर रिहा करने का सोमवार को आदेश दिया।
न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका मंजूर कर ली। वे गत करीब 9 वर्ष से जेल में थे। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि वह बॉम्बे उच्च न्यायालय के संबंधित आदेश को खारिज करता है। न्यायालय ने हालांकि कर्नल पुरोहित पर कुछ शर्तें भी रखी हैं, जिनमें देश से बाहर जाने पर रोक भी शामिल है।
उच्च न्यायालय ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ उन्होंने शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले न्यायालय ने गत 17 अगस्त को इस मामले में ले. कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ले. कर्नल पुरोहित की ओर से जाने-माने वकील हरीश साल्वे ने इस मुकदमे के आरोपियों के साथ दोहरे मापदंड अपनाने का एनआईए पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जब आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जा सकता है तो उनके मुवक्किल को क्यों नहीं? साल्वे ने इस मामले के गवाहों के बयानों पर भी सवाल खड़े किए थे।
उन्होंने कहा कि न्याय के हित में कर्नल पुरोहित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाना चाहिए, जबकि एनआईए ने उनके इस अनुरोध का पुरजोर विरोध किया था। एनआईए की दलील थी कि ले कर्नल पुरोहित के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जबकि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। अभियोजन एजेंसी ने कहा था कि इस मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा जाना चाहिए।
कर्नल पुरोहित ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका निरस्त किए जाने को चुनौती दी थी, जबकि धमाके के पीडि़तों में से एक के पिता निसार अहमद हाजी सैयद बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत पर रिहा करने के उच्च न्यायालय के 25 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी। हाजी बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत रद्द करने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया था। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के नासिक जिले में साम्प्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील मालेगांव में 29 सितम्बर 2008 को हुए बम विस्फोट में सात लोग मारे गए थे।