नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सात साल के अंतराल के बाद अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में आज से सुनवाई शुरू की है। इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 5 दिसम्बर को सुनवाई की अगली तारीख तय की है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विभिन्न याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ में भोजनावकाश के बाद अपराह्न दो बजे शुरू हुई। पीठ के अन्य दो सदस्य हैं न्यायमूर्ति अशोक भूषण एवं न्यायमूर्ति एस एन नजीर।
मामले की सुनवाई शुरू होते ही सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दलील दी कि कई दस्तावेजों के अनुवाद का काम अब तक नहीं हो पाया है। ये दस्तावेज संस्कृति, फारसी, उर्दू, अरबी और अन्य भाषाओं में हैं। इनके अनुवाद के लिए थोड़े समय की जरूरत है।
इस मामले में कुछ समय पहले भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पीठ से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी। न्यायालय ने गत माह स्वामी को भी मामले में पक्षकार बनने की इजाजत दी थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश दिया था।
कुछ महीने पहले न्यायालय ने इस मामले का अदालत से बाहर समाधान निकालने की संभावना तलाशने के लिए कहा था। इसे लेकर विभिन्न पक्षकारों की ओर से प्रयास किए गए, लेकिन समाधान नहीं निकल सका। लिहाजा न्यायालय अब गुण-दोष के आधार पर ही इस विवाद का निपटारा करेगा।