नई दिल्ली। इंडोनेशिया से बड़ी खबर सामने आई है। इंडोनेशिया ने भारी विरोध के बावजूद ड्रग्स तस्करी के 4 दोषियों को गोली मार कर मौत की सजा दी है। ड्रग्स तस्करी के आरोप में भारत के 48 साल के गुरदीप सिंह को भी सजा मिलनी है लेकिन कल सिर्फ 4 लोगों को ही सजा दी गई। इंडोनेशिया सरकार ने अब तक ये भी साफ नहीं किया है कि गुरदीप समेत बाकी 10 लोगों को कल सजा क्यों नहीं दी गई। अभी तक इसपर भी बादल छाए हुए हैं कि बाकी बचे इन लोगों को सजा दी जाएगी या सजा पर रोक लग गई है? इस बीच भारत सरकार गुरदीप को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है।
बीते कई दिनों से इस सज़ा के खिलाफ कई मानवाधिकार कार्यकर्ता अपना प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते दिन 4 लोगों को दी गई सज़ा ए मौच को को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कैंडिल मार्च भी रोक नहीं पाया। कुछ घंटे में 10 और दोषियों को ऐसी ही खतरनाक सजा दी जानी है। सबके लिए ताबूत नुसा कामबांगान जेल में पहले ही पहुंच दिए गए हैं।
इंडोनेशिया में दी जा रही सजा ए मौत पर भारत की भी नजर बनी हुई है। इस पूरे मामले पर जालंधर के नकोदर की एक मां, एक बेटे और बेटी की नजर है। जिन 14 लोगों को इंडोनेशिया की अदालत ने सजा ए मौत की सजा सुनाई है उसमें जालंधर का रहने वाले गुरदीप सिंह भी हैं। गुरदीप को भी गोली मारकर मौत की सजा देने का फरमान निकल चुका है। गुरदीप की पत्नी कुलविंदर कौर और बेटी मनजोत और बेटा सुखबीर सिंह इस मामले में चमत्कार की आस लगाए बैठे हैं।
इंडोनेशिया में कथित रूप से नशे की तस्करी में मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय नागरिक गुरदीप सिंह ने अपनी पत्नी से कहा था कि ‘मुझे गोली मार दी जाएगी और मेरा शव स्वदेश मंगवा लेना।’ जालंधर जिले के नकोदर इलाके में रहने वाली कुलविंदर कौर ने रूंधे गले से बताया, ‘‘भारतीय दूतावास के अधिकारी का आज फिर मेरे पास फोन आया था। इस बार आवाज मेरे पति की थी और उन्होंने मुझे कहा कि आज रात उन्हें गोली मार दी जाएगी और मैं उनका शव यहां मंगवा लूं।’’ गुरदीप(48) के साथ हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा कुलविंदर ने बताया, ‘‘मैं यहां ठीक हूं। आज रात यहां मुझे गोली मार दी जाएगी। मैं नहीं चाहता कि यहां रहूं। इसलिए मेरा शव वहीं मंगवा लेना।’’
बाद में गुरदीप के हवाले से उसके भांजे गुरपाल ने बताया, ‘‘यहां गोली मारे जाने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है। ताबूत आदि भी मंगवा लिए गए हैं। सूचना मिली है कि मौलवी, पादरी और पुजारी को भी बुलाया गया है। आज रात मुझे गाली मार दी जाएगी।’’ परिवार पिछले 12 साल से इसी इंतजार में है कि गुरदीप को वहां की हुकूमत रिहा कर दे और वापस भारत भेज दे। गुरदीप उन 14 लोगों में शामिल है जिन्हें नशे की तस्करी के विभिन्न मामलों में गोली मार दी जायेगी।
गुरदीप की कहानी-
14 साल पहले गुरदीप जालंधर से वर्क वीजा पर न्यूजीलैंड जाने के लिए निकला था। एजेंट ने न्यूजीलैंड तो नहीं पहुंचाया लेकिन इंडोनेशिया में गुरदीप ड्रग्स रैकेट में फंस गया। पाकिस्तान के जुल्फिकार अली के कारण गुरदीप मौत के दरवाजे तक पहुंच गया। 2004 में जकार्ता एयरपोर्ट पर 300 ग्राम हेरोइन की तस्करी के आरोप में गुरदीप गिरफ्तार हुआ था। जिन 14 लोगों को सजा ऐ मौत हुई है उसमें पाकिस्तान का अली भी है। अली की सजा रुकवाने के लिए पाकिस्तान सरकार भी हाथ पैर मार रही है। 14 लोगों में नाइजीरिया, पाकिस्तान, जिम्बा ब्वे के साथ साथ इंडोनेशिया के भी नागरिक हैं।
गुरदीप को बचाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कोशिश कर रही हैं लेकिन अभी उन कोशिशों का असर दिखना बाकी है। गुरदीप की जान बचाने का अधिकार सिर्फ इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के पास है। गुरदीप दया याचिका राष्ट्रपति को दे सकता है। गुरदीप से भारतीय दूतावास के अधिकारी मिले हैं लेकिन देर बहुत हो चुकी है। अब चमत्कार ही गुरदीप को बचा सकता है।