नई दिल्ली. राज्यसभा में बहुमत मिला तो मंदिर बनाने के लिए बिल ला सकता है . सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि अगर अगले साल तक सरकार को राज्यसभा में मेजॉरिटी हासिल हो जाती है, तो वह संसद में राम मंदिर बनाने को लेकर बिल ला सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने की बात कही है।
कांग्रेस भी तो शाह बानो पर बिल लाई थी…
न्यूज एजेंसी के मुताबिक स्वामी ने एक टीवी चैनल के कॉन्क्लेव में कहा, “कांग्रेस भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पलटकर शाह बानो केस में बिल लेकर आई थी। मोदी सरकार भी अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर बिल लेकर आ सकती है।” स्वामी ने बताया कि शाह बानो ने गुजारा भत्ते के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने पति को उन्हें गुजारा भत्ता दिए जाने का आदेश दिया था।बता दें कि एनडीए को राज्यसभा में बहुमत हासिल नहीं है। लेकिन हाल में हुए चुनावों में बीजेपी को कई राज्यों में बहुमत मिला है। इसके चलते माना जा रहा है कि बीजेपी को राज्यसभा में बहुमत मिल सकता है।
स्वामी ने ये भी कहा कि वे कोर्ट से दरखास्त करेंगे कि मंदिर मामले में रोज सुनवाई करे।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम मंदिर विवाद का कोर्ट के बाहर निपटारा करने की बात कही थी। कोर्ट ने ये भी कहा कि इस पर सभी संबंधित पक्ष मिलकर बैठें और आम राय बनाएं। बातचीत नाकाम रहती है तो हम दखल देंगे। दूसरी तरफ, सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या विवाद के हल के लिए एक फॉर्मूला सुझाया। कहा- मस्जिद सरयू नदी के पार बनाई जानी चाहिए। जबकि मंदिर वहीं बनना चाहिए, जहां रामलला विराजे हैं।
किसका-क्या पक्ष?
पिटीशनर स्वामी ने कोर्ट से कहा कि छह साल से ज्यादा वक्त हो चुका है। इसलिए इस पर तुरंत सुनवाई की जरूरत है। स्वामी ने यह भी कहा कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों से बातचीत की थी। उनका कहना था कि इस मसले के हल के लिए ज्यूडिशियरी के दखल की जरूरत है।
अपनी पिटीशन में स्वामी ने दावा किया था कि इस्लामिक देशों में मौजूद प्रैक्टिस के मुताबिक, किसी भी मस्जिद को सड़क बनाने जैसे काम के लिए दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा सकता है। जबकि मंदिर अगर एक बार बन जाता है तो उसे दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता। स्वामी ने इस मामले में अर्जेंट हियरिंग की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि यह संवेदनशील मुद्दा है और इस पर तुरंत सुनवाई की जरूरत है।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा कि यह मुद्दा सेंसिटिव और सेंटिमेंटल है। बेहतर यही होगा कि इसका आपसी रजामंदी से हल निकले। इस विवाद का बातचीत के जरिए ऐसा हल निकालें, जिस पर सारे पिटीशनर्स और रिस्पॉन्डेंट्स राजी हों।