नई दिल्ली, दुनिया का सबसे बड़ा रैंजमवेयर अटैक, खतरा टला नहीं है. पिछले कुछ दिनों से आप इंटरनेट, टीवी और अखबारों में लगातार दुनिया भर में हुए रैंजमवेयर अटैक की खबरे लगातार पढ़ रहे होंगे. यह काफी गंभीर है और अब तक लगभग 150 देशों के लाखों कंप्यूटर इससे प्रभावित हैं. हैकर्स पैसों के लिए कंप्यूटर्स को निशाना बना रहे हैं.
हालांकि अब ऐसा बताया जा रहा है कि अब Windows के नए अपडेट के बाद इसपर लगाम लगाई जा चुकी है. लेकिन हमने कुछ हैकर्स से बातचीत की तो उन्होंने बताया है कि इस पर लगाम लगाना आसान नहीं है. यह किसी वायरस की तरह फैलेगा और इसे रोकने के लिए सरकारी संस्थानों को हैकर्स की तरह ही सोचना पड़ेगा और उन्हें उन्हीं की भषा में जवाब देना होगा.
इस रैंजमवेयर अटैक के बाद एक बार फिर से Windows कंप्यूटर्स सवालों के घेरे में हैं. क्योंकि आखिर ऐसा क्यों है कि यह अटैक सिर्फ Windows कंप्यूटर में हुआ? क्यों इससे ऐपल के कंप्यूटर प्रभावित नहीं हुए?
जवाब साफ है. माइक्रोसॉफ्ट ने काफी पहले ही Windows XP का सपोर्ट बंद कर दिया है. और माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम सबसे ज्यादा पायरेटेड उपलब्ध हैं. लेकिन ऐसा ऐपल के साथ नहीं है. ज्यादातर ऐपल कंप्यूटर्स या लैपटॉप नए वर्जन से अपडेटेड होते हैं इसलिए भी उनमें खतरना नहीं होता. इसके अलावा पायरेटेड मैक ओएस भी इतनी आसानी से नहीं मिलते और चलन में भी नहीं है. ये सबसे आम वजह है जिससे ऐपल के कंप्यूटर इस रैंजमवयेर अटैक से कमोबेश महफूज हैं.
हालांकि माइक्रोसॉफ्ट ने इस रैंजमवेयर से बचने के लिए मार्च में ही सिक्योरिटी अपडेट जारी किया था. लेकिन भारत में ज्यादातर कस्टमर्स और संस्थान पायरेटेड विंडोज यूज करते हैं. ऐसे में संभव सिक्योरिटी अपडेट्स उनके लिए बेमानी हैं.
इतना ही नहीं जिनके पास ऑरिजनल विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम भी है वो भी ज्यादातर बार ऐसे अपडेट्स को इग्नोर करते हैं. कई बार ऐसा लापरवाही में किया जाता है तो कई बार इंटरनेट स्लो होने की वजह से. क्योंकि ऐसे अपडेट्स के लिए ब्रॉडबैंड की जरूरत होती है और भारत में इसकी स्थिति किसी से छिपी नहीं है.
भले ही ऐसा लग रहा है कि अब रैंजमवयेर अटैक खत्म हो गया है. लेकिन सही मायनों में ऐसा नहीं है. क्योंकि हैकर्स ने कुछ ऐसी खामियों को पकड़ लिया है जिसके जरिए वो एक बार फिर से बड़े पैमाने पर साइबर हमले कर सकते हैं.
क्या है WannaCry रैंजमवेयर और कैसे काम करता है ये
ब्रिटिश सिक्योरिटी रिसर्चर का कहना है कि कुछ समय के लिए यह रूका है लेकिन आने वाले समय में यह और भी बढ़ेगा. इसे Wnaa Decrypt, WannaCryptro या WCRY के भी नाम से जाना जाता है. यह दूसरे रैंजवेयर की ही तरह किसी कंप्यूटर को पैसे न मिलने तक ब्लॉक कर सकता है.
Windows की खामियों से निकला है यह रैंजवेयर. रिपोर्ट्स के मुताबिक एनएसए ने एक हैकिंग टूल बनाया था जिसे कुछ हैकर्स ने लीक कर दिया जिसे शैडो हैकर्स के नाम से जाना जाता है.