मॉस्को : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम मुद्दों पर अलग अलग देशों के बीच वैचारिक मतभेद होते रहते हैं. अमेरिका, रूस, भारत, पाकिस्तान और कई अन्य देश संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कई विषयों पर अपना मत रखते हैं जिन पर बहस भी होती है. un
जहां तक भाषा की बात है तो दो कट्टर दुश्मन देशों के प्रतिनिधि भी किसी मंच पर खड़े होकर जब अपनी बात रखते हैं, तो शब्दों के इस्तेमाल को लेकर बेहद ही सतर्क रहते हैं.
हालांकि ट्विटर पर इस बहस ने अनौपचारिक रूप ले लिया है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अभी भी भाषा का खासा ख्याल रखा जाता रहा है.
यही वजह थी कि जब हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में रूसी राजनयिक व्लादिमीर सैफरोनोफ ने अपने समकालीन ब्रितानी अधिकारी मैथ्यू क्रोफ्ट से कहा कि ‘मेरी तरफ देखकर बात करो’ तो सब सकते में आ गए.
संयुक्त राष्ट्र में रूस के डिप्टी राजदूत ने सीरियाई संकट के लिए ब्रिटेन को जिम्मेदार ठहराया और ब्रितानी प्रतिनिधित्व की तरह उंगली दिखाते हुए बेहद आक्रमक ढंग से कहा ‘मेरी तरफ देखो, मेरी तरफ देखकर बात करो, मुझसे नज़रें क्यों चुरा रहे हो?’ रूसी राजदूत व्लादिमीर सैफरोनोफ ने यह भी कहा कि आगे से रूस का अपमान करने की हिम्मत भी करना.
रूसी राजदूत की इस टिप्पणी से रूस की मीडिया भी हैरान है. वहीं अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक राजदूत की भाषा ही नहीं, उनके कहने का तरीका भी चर्चा का विषय बन गया है.
रूस के राष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क RT ने भी इस उग्र भाषण को ‘ब्रिटिश राजनयिक के प्रति जरूरत से बड़ा हमला’ बताया जिसमें गैर राजनयिक भाषा का इस्तेमाल किया गया.
कहा गया कि राजदूत ने रूसी भाषा में संबोधन के लिए जिस शब्द का इस्तेमाल किया वह रूसी संस्कृति में अक्सर दोस्तों या बच्चों के लिए इस्तेमाल होता है और उसे सार्वजनिक मंच पर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाता.
हालांकि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता ने कहा है कि राजदूत की टिप्पणी में कुछ भी अपमानजनक नहीं है. वहीं मॉस्को टाइम्स ने लिखा है कि रूसी ने संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट पर छपे सैफरोनोफ के भाषण के अनुवाद को संपादित करके उसकी भाषा को थोड़ा बेहतर बनाया है.
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