नई दिल्ली : कांग्रेस में फिलहाल दूसरे सबसे वरिष्ठ नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ईवीएम में खराबी के मुद्दे पर चुनाव आयोग के साथ नजर आए. Amarinder singh
हालांकि उनकी पार्टी कांग्रेस ईवीएम की गड़बड़ी का मुद्दा उठाती रही है.
पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां हाल ही हुए विधानसभा में चुनाव के बाद कांग्रेस ने कैप्टन के नेतृत्व में सरकार बनाई.
उन्हें अपने बयान के पक्ष में एक तर्क दिया – अगर ईवीएम में गड़बड़ी हुई होती तो मैं मुख्यमंत्री नहीं होता. अकाली दल सत्ता में होता.”
गौरतलब है कि कांग्रेस ने पंजाब में 117 विधानसभा सीटों में से 77 पर जीत हासिल की थी और लंबे समय से सत्तासीन अकाली दल को बेदखल कर दिया था.
लेकिन आज कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों के साथ चुनाव आयोग में ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत की. पार्टियों का आरोप है कि मशीन में गड़बड़ी के चलते बीजेपी को उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत मिला है.
हालांकि पूर्व कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि वह तकनीकी का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि अब बैलेट पेपर से चुनाव करवाने का कोई सवाल ही नहीं उठता. यह प्रगतिवादी कदम नहीं है. मुझे नहीं लगता कि हमें फिर से पुराने तौर-तरीके अपनाने चाहिए.
मोइली ने एनडीटीवी से कहा, “हम अपने सिस्टम को सेंसर कर रहे हैं. ईवीएम की शुरुआत तब की गई थी जब हम सत्ता में थे और मशीनों की जांच अच्छे से की गई थी.”
पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के बयान से कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है. वहीं, कांग्रेस पार्टी के नेता गुलाब नबी आजाद, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और बीएसपी मायावती ने चुनाव आयोग से ईवीएम वापस लेने और बैलेट से चुनाव करवाने की मांग की है.
उधर, ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के राजनीतिक हमलों के बीच एक बार फिर चुनाव आयोग ने दावा किया है कि इस प्रकार के आरोप बेबुनियाद हैं और साफ कहा है कि ईवीएम के साथ कोई टैंपरिंग संभव नहीं है.
आयोग ईवीएम के समर्थन में खुलकर सामने आया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर बार-बार सवाल उठाए जाने के बाद चुनाव आयोग मई के पहले हफ्ते में EVM से छेड़छाड़ साबित करने की चुनौती देगा.
यह चुनौती 10 दिन तक खुली रहेगी. इस दौरान ईवीएम में तीन से चार स्तर तक टैंपरिंग करने की खुली चुनौती होगी. यही नहीं चुनाव आयोग ईवीएम मशीन खोलकर भी उसमें छेड़छाड़ करने की चुनौती दे सकता है.
चुनाव आयोग का कहना है कि 2009 में भी ईवीएम की स्वामित्वता पर सवाल उठाए जाने के बाद हमने खुला चैलेंज दिया था लेकिन कोई इसे प्रूव नहीं कर सका.