नई दिल्ली : विधानसभा चुनाव 2017 के नतीजों में गोवा और मणिपुर दोनों में से किसी भी राज्य को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। इस वजह से कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दोनों की ही तरफ से सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है। Goa
गोवा की 40 सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ 17 सीटें मिली हैं। 13 सीटों के साथ बीजेपी दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा गोवा फारवर्ड पार्टी, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) और निर्दलीय को भी तीन-तीन सीटें मिली हैं। इसके अलावा एक सीट राकांपा (NCP) के हिस्से है।
सभी दलों को मनाने के लिए दोनों ही दलों की सभी कोशिश जारी हैं। MGP भाजपा की पूर्व सहयोगी भी रह चुकी है। सरकार बनाने के लिए 21 विधायकों की जरूरत है।
दूसरी तरफ मणिपुर में कांग्रेस को 60 में से 28 सीटें मिली हैं। वहां कांग्रेस लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीती है। लेकिन उसको भाजपा ने 21 सीटों पर जीत दर्ज करके कड़ी टक्कर दी है।
2012 के चुनाव में तो मणिपुर में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। लेकिन मणिपुर में सरकार बनाने के लिए कुल 31 विधायकों की जरूरत है।
इस वक्त बीजेपी पूर्व स्पीकर पीए संगमा की पार्टी NPP, राम विलास पासवान की पार्टी LJP और नागा पीपल फ्रंट (NPF) को अपनी तरफ मिलाना चाहती है क्योंकि तीनों ही NDA का हिस्सा भी हैं।
लेकिन इससे बीजेपी भी तीस पर आकर अटक जाएगी। दोनों की पार्टियों की तरफ से तृणमूल के विधायक को अपनी तरफ आने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन अगर कांग्रेस तृणमूल के विधायक और एक निर्दलीय मुस्लिम विधायक को अपनी तरफ कर भी लेती है तो भी वह तीस तक ही पहुंचेगी।
LJP पहले कांग्रेस के साथ सरकार में रह चुकी है लेकिन अब वह केंद्र के साथ सत्ता में है। पूरे मामले पर कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, हम लोगों को उम्मीद है कि गवर्नर नजमा हेपतुल्लाह सबसे पहले हमको ही सरकार बनाने का न्योता देकर बुलाएंगी।’