नई दिल्ली : भारतीय विदेश सचिव सुब्रह्मण्यम जयशंकर के ढाका दौरे में पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ संबंधों में गर्मजोशी के आसार बने हैं। Sheikh hasina
हालांकि राजनयिक स्तर पर चीनी और ब्रिटिश ‘कॉकस’ ने वहां की सरकार पर जबरदस्त दबाव बना रखा है।
दोपहर में वहां पहुंचे जयशंकर ने वहां के विदेश मंत्री एएच महमूद अली और प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ औपचारिक मुलाकात की।
दोनों बैठकों में हसीना के नई दिल्ली दौरे के कार्यक्रम पर सहमति बनी और संयुक्त बयान जारी किया गया।
मौजूदा राजनयिक हालात के मद्देनजर हसीना के इस दौरे को ‘संवेदनशील और अहम’ माना जा रहा है।
उनकी यात्रा के दौरान भारत के साथ परस्पर सहयोग की 20 संधियों पर बातचीत होगी। इसकी प्रस्तावना पर जयशंकर की मुलाकात के बाद वहां के शीर्ष नेतृत्व ने हरी झंडी दिखा दी।
शिखर वार्ता के मसौदे में पद्मा नदी बांध और तीस्ता जल बंटवारे का जिक्र हल्के से किया गया है। हसीना जब आएंगी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में इस मुद्दे को उठाएंगी।
राजनयिक स्तर पर जयशंकर की दौरे की यह सफलता मानी जा रही है। भारत सरकार की ओर से वहां की हिंदुओं की आबादी और संपत्तियों पर अराजक तत्वों द्वारा बढ़ते हमलों, बढ़ती आतंकी गतिविधियों और सीमा पार से नकली नोटों की तस्करी को लेकर भी मुद्दे प्रस्तावना में जोड़े गए हैं।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक वार्ता कर लौट रहे जयशंकर दोपहर बाद ढाका पहुंचे। हसीना से उन्होंने वहां की संसद स्थित उनके दफ्तर में भेंट की।
बांग्लादेश सरकार के साथ दोनों शीर्ष नेताओं की उनकी मुलाकात के दौरान बांग्लादेश के विदेश सचिव शहीदुल हक, भारतीय उच्चायुक्त हर्षवर्द्धन शृंगला और भारतीय प्रथम सचिव निनाद देशपांडे भी शामिल हुए। उसके बाद रात तक चली विदेश सचिव स्तर की वार्ता में अप्रैल की यात्रा के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया।
हसीना की इस यात्रा को भारतीय राजनयिकों ने बांग्लादेश में बढ़ते चीन के दखल और म्यांमार को लेकर ब्रिटिश लॉबी की नरमी के संदर्भ में देखना शुरू किया है।
चीनी और ब्रिटिश ‘कॉकस’ का उद्देश्य हिंद महासागरीय क्षेत्र में भारत पर दबाव बनाना है। दबाव बनाए रखने के लिए शेख हसीना सरकार पर पद्मा नदी बांध और तीस्ता जल बंटवारे को लेकर उनकी ही पार्टी अवामी लीग का एक धड़ा दबाव बनाए हुए है।
इसके मद्देनजर भारत और बांग्लादेश के बीच रक्षा, अंतरिक्ष, उपग्रह तकनीक, परमाणु, नदी जल पथ, रेल, सड़क और ऊर्जा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग बढ़ाने का एजंडा भारतीय राजनयिक आगे बढ़ा रहे हैं।
जयशंकर को फौरी तौर पर इस बात की सफलता मिली है कि शिखर वार्ता की प्रस्तावना के अहम बिंदुओं में दोनों का जिक्र नहीं है। हल्के से संदर्भवश पेयजल और सिंचाई की व्यवस्था के मद्देनजर चर्चा की गई है।
जयशंकर के दौरे के समय भारत के साथ वार्ताओं में शामिल रहने वाली हसीना की सलाहकार और पूर्व विदेश मंत्री दीपू मणि लंदन की यात्रा पर हैं।
वे वहां बांग्लादेशी कॉकस के ब्रिटिश सांसदों की टीमों के साथ मुलाकात कर रही हैं और म्यामां को लेकर सहयोग मांग रही हैं। म्यामां के रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर आधिकारिक तौर पर ब्रिटिश मदद लेने गईं दीपू मणि ने वहां रक्षा और अंतरिक्ष और समुद्री परिवहन को लेकर सहयोग का मसौदा रखा है।
दीपू मणि को वहां के उन नेताओं में शुमार किया जाता है, जो भारत से इतर देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के हामी हैं। हसीना के ऊर्जा सलाहकार तौफीक ए इलाही, प्रधानमंत्री के पुत्र जुनैद को चीन समर्थक लॉबी वाला माना जा रहा है।
पिछले दो साल में इन सभी ने कई बार बीजिंग के दौरे किए और हसीना का भारत दौरा तीन बार टलवाने में इन लोगों की अहम भूमिका रही।
चीन की मदद के म्यामां के नजदीक सेना का कैंटोनमेंट और एयरबेस बनाया जा रहा है, जिसको लेकर जयशंकर ने अपनी इस यात्रा में चिंता जताई है। चीन द्वारा पनडुब्बियां देने को लेकर भारत पहले ही चिंता जता चुका है।