बिजिंग : विदेश सचिव एस. जयशंकर ने चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जिएची से बातचीत की जिसमें एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की कोशिशों और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध पर चीन की बेरुखी के बावजूद दोनों ने सकारात्मक रिश्ते विकसित करने के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता जताई। jaishankar
श्रीलंका से यहां पहुंचे जयशंकर ने चीन के स्टेट काउंसिलर यांग से मुलाकात की। यांग भारत और चीन के बीच के सीमा विवाद निबटाने के तंत्र के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि हैं।
चीन सरकार में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के स्टेट काउंसिलर को देश के नेतृत्व के तहत सीधे काम करने वाले शीर्ष राजनयिक की हैसियत है।
देश की सत्ता व कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय झोंगनानहाइ में जयशंकर का स्वागत करते हुए यांग ने कहा कि मतभेदों के बावजूद दोनों पक्षों के बीच के रिश्तों में पिछले साल सकारात्मक विकास हुआ।
उम्मीद की जा रही है कि जयशंकर चीन के विदेश मंत्री वांग ई से मुलाकात करेंगे। वे बुधवार को चीन के कार्यकारी विदेश उपमंत्री झांग एसुइ के साथ सामरिक संवाद में भी हिस्सा लेंगे।
जयशंकर ने कहा, ‘बेजिंग) लौटना बहुत अच्छा है। मैं पुरानी यादों के साथ आया हूं और बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं। रिश्तों को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्धता की दृढ़ भावना है।’
यांग के साथ जयशंकर की वार्ता और बाद में सामरिक संवाद में उम्मीद की जा रही है कि उनमें 48 सदस्यों वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने की भारत की कोशिश में चीन की अड़चनबाजी, अजहर पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध और 46 अरब डालर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी जिनपर दोनों देशों को मतभेद हैं।
बातचीत से पहले विदेश सचिव ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में सीपीईसी और आतंकवाद निरोध पर भारत की चिंता जताई।
उन्होंने सीपीईसी के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने की परोक्ष चर्चा करते हुए कहा, ‘हमारे लिए यह संप्रभुता के सवाल हैं जिनका पहले समाधान करने की जरूरत है।’