नई दिल्ली : एनडीए के दो साझेदारों भाजपा और शिवसेना के बीच खींचतान वाला रिश्ता जारी है और सोमवार (6 जनवरी) को लोकसभा में भी इसकी झलक देखने को मिली। Shiv sena
शिवसेना के सांसदों ने नोटबंदी, राम मंदिर निर्माण और तानाशाही वाले रवैये पर सरकार को घेरा।
सांसद आनंदराव अदसूल ने कहा कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने 2002 के दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पद से हटाने से रोका था।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, ”यदि बालासाहेब ने वाजपेयीजी को उस समय नहीं रोका होता, यदि मोदीजी उस समय मुख्यमंत्री नहीं होते तो कौन जानता है कि वह शायद आज प्रधानमंत्री बन ही नहीं पाते।” उनके इस बयान के दौरान विपक्षी सांसदों ने मेजें थपथपाई।
अदसूल ने कहा कि भाजपा हमेशा कहती रही कि वह महाराष्ट्र में शिवसेना का छोटा भाई है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटें जीतने के बाद से वह बड़े भाई की तरह व्यवहार कर रही है।
उन्होंने कहा, ”यदि छोटे भाई के चार बच्चे हैं और बड़े के केवल दो तो क्या छोटा भाई बड़ा बन जाता है।” सेना सांसद ने कहा कि नोटबंदी पर शुरुआत में उनकी पार्टी ने साथ दिया लेकिन बाद में पता चला कि केंद्र के पास बंद किए गए नोटों को बदलने के लिए पर्याप्त प्लान ही नहीं है।
लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने वर्तमान सरकार की कई योजनाओं पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एनडीए 60 सालों में किए गए कामों को छोटा बना रही है।
गौरतलब है कि शिवसेना और भाजपा के बीच महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद से ही मतभेद हैं। इन चुनावों के दौरान भाजपा ने ज्यादा सीटें मांगी थी लेकिन सेना ने देने से मना कर दिया था। इसके चलते दोनों अलग हो गए थे।
नतीजों में भाजपा को ज्यादा सीटें मिली थी और सेना ने ऐनवक्त पर समर्थन दिया था। इसके बाद से कई मुद्दों पर शिवसेना ने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की है।
हाल ही में मुंबई नगर निगम के चुनावों के दौरान भी सीटें के बंटवारे को लेकर दोनों दलों में बात नहीं बन पाई। इसके बाद दोनों अब एक बार फिर से आमने-सामने है। जबकि बीएमसी में दोनों कई सालों से मिलकर सत्ता में हैं।