इलाहाबाद : ट्रेन में रात सफर के दौरान अक्सर ऐसा होता है। आपने थक हारकर अभी गहरी नींद लेना शुरू ही किया था कि टीटीई ने आकर झकझोर दिया। टिकट दिखाइए प्लीज। खीझ तो बहुत आती है लेकिन मन मसोस कर फार्मेलिटी तो पूरी ही करनी पड़ती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। no ticket
जनरल कोच में सफर करने वाले यात्रियों की नींद अब टीटीई नहीं हराम कर सकेंगे।
क्योंकि रेलवे बोर्ड ने जनरल कोच में रात दस बजे से सुबह छह बजे तक टिकट न चेक किए जाने का फरमान सुनाया है।
हालांकि विशेष परिस्थितियों में स्टॉफ को इस नियम में छूट दी गई है।
रेलवे पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि रेलवे बोर्ड द्वारा लागू नए नियम से सभी रेल कर्मचारियों खासकर टीटीई को अवगत करा दिया गया है।
उन्हें बताया गया है कि जनरल कोच में कब तक टिकट की चेकिंग करनी है और कब नहीं करनी है। नई व्यवस्था से पैसेंजर्स को परेशानी नहीं होगी।
- रेलवे बोर्ड ने इस संबंध में टीटीई के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि रात दस बजे से सुबह छह बजे के बीच ट्रेन में यात्रियों के टिकट की जांच नहीं की जाए।
- हालांकि अगर ट्रेन में यात्री रात दस बजे के बाद सवार होता है तो उसके टिकट की जांच की जा सकती है।
- रात में टिकट की चेकिंग तभी की जा सकेगी जब ट्रेन रात को रवाना हो रही हो या विजिलेंस विभाग को बिना टिकट यात्रा कर रहे यात्रियों के कोच में होने का शक हो।
- इस बदलाव की जानकारी देते हुए रेलवे बोर्ड ने बताया है कि इस आदेश का मकसद यह है कि रात के वक्त ट्रेन में यात्रियों को परेशान न किया जाए।
रेलवे बोर्ड ने कन्सेशन वाले टिकट को ट्रांसफर न किए जाने का आदेश जारी कर दिया है। इसके मुताबिक यदि कोई भी पैसेंजर यात्रा न कर पाने की स्थिति में कन्सेशन वाले टिकट को अपने परिवार के किसी अन्य सदस्य को ट्रांसफर नहीं कर सकेगा।
रेलवे में अभी तक यह व्यवस्था रही है कि अगर किसी ने टिकट लिया है तो वह ब्लड रिलेशन में अपना टिकट ट्रांसफर कर सकता है।
इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है। जिसके तहत यात्रा से 24 घंटे पहले रेलवे को इसकी सूचना भी देनी होती है। ताकि टिकट पर पैसेंजर का नाम बदला जा सके।
लेकिन अब रेलवे ने इस मामले में नया नियम जारी किया है। रेलवे का कहना है कि अगर किसी यात्री ने कंशेशनल रेट पर टिकट लिया है तो उस स्थिति में वह अपने किसी ऐसे परिजन के नाम टिकट ट्रांसफर नहीं कर सकता, जो रियायत का हकदार नहीं है.