नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार (27 दिसंबर) को सभी विपक्षी दलों की बैठक और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। संसद सत्र के पूरी तरह बर्बाद होने के बाद कांग्रेस समूचे विपक्ष को फिर से एक मंच पर लाना चाहती थी। नोटबंदी के मुद्दे पर संसद के बाहर होने वाली इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी हिस्सा लेकर मीडिया को संबोधित करना है। मगर कांग्रेस की यह मुहिम खटाई में पड़ती नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि वाम दलों और नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने इस बैठक और काॅन्फ्रेंस में शामिल हो पाने में असमर्थता जताई है। Sonia Gandhi
रिपोर्ट के अनुसार, शरद पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ने भी इस कवायद का हिस्सा होने से इनकार कर दिया है। नोटबंदी के फैसले के बाद जिस तरह संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दलों की एकता बरकरार रही, उससे कांग्रेस को लगा था कि वह सत्र समाप्त होने के बाद भी अपनी ताकत और सामंजस्य का प्रदर्शन कर सकती है। संसद में करीब 14 पार्टियों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था।
वामदलों की तरफ से सीताराम येचुरी ने कहा कि संसद में फ्लोर मैनेजमेंट के मुकाबले बाहर किसी प्लेटफॉर्म पर पार्टियों को लाना उतना आसान नहीं है। उन्होंने एनडीटीवी से कहा, ”सभी विपक्षी पार्टियों को देश में संयुक्त रूप से बातचीत कर कार्रवाई करनी चाहिए। मैं किसी एक पर ठीकरा नहीं फोड़ना चाहता मगर मैं यह कहना चाहूंगा कि विपक्ष की ऐसी किसी गतिविधि हमेशा पहले से तय बातचीत पर निर्भर करती है।”
जनता दल यूनाइटेड के नेता केसी त्यागी ने कहा है कि उनकी पार्टी ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होगी या नहीं। लेकिन त्यागी ने कहा कि वह पहले इन सबका एजंडा जानना चाहती है।
त्यागी ने कहा कि कोई ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ तय नहीं किया गया है और पीएम मोदी द्वारा 500, 1000 रुपए के नोट बंद करने को लेकर सभी विपक्षी पार्टियों का एकमत नहीं है।