मुंबई। टाटा मोटर्स के स्वतंत्र निदेशक पद से हटाए जाने के कुछ घंटों बाद मशहूर उद्योगपति नुस्ली एन.वाडिया ने Tata Sons, रतन टाटा तथा इसके निदेशकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का एक मुकदमा दायर किया। नुस्ली के वकील अबद पोंडा ने बालार्ड पायर की 36वीं अदालत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत के समक्ष मुकदमा दर्ज कराया। इस कदम के एक सप्ताह पहले ही उन्होंने टाटा संस तथा अन्य के खिलाफ 3,000 करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। आपराधिक मुकदमे में वाडिया ने आरोप लगाया है कि सभी आरोपियों ने व्यक्तिगत तथा सामूहिक रूप से उनकी मानहानि के इरादे से गलत, ओछी, निराधार, अपमानजनक तथ्यों का प्रकाशन तथा वितरण किया, जिससे सही सोचने वाले लोगों के बीच उनकी प्रतिष्ठा व छवि धूमिल हुई। Tata Sons
उन्होंने कहा कि टाटा समूह की तीन कंपनियों से उन्हें बाहर निकालने के लिए टाटा संस के लेटरहेड पर विशेष नोटिस भेजा गया, जिसपर मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) तथा कंपनी सचिव एफ.एन. सुबेदार के हस्ताक्षर हैं, इसलिए मानहानि की सामग्री प्रकाशित करने तथा उसे फैलाने को लेकर आरोपियों के नामों को मानहानि के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है। वाडिया ने अदालत से अनुरोध किया कि मुकदमे में जिन आरोपियों के नाम लिए गए हैं, उनके द्वारा किए गए अपराध पर वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की निश्चित धाराओं के तहत संज्ञान ले।
इससे पहले गुरुवार (22 दिसंबर) को टाटा मोटर्स के शेयरहोल्डर्स में से 71.20 प्रतिशत लोगों ने नुस्ली को स्वतंत्र निदेशक के पद से हटाने के लिए वोट किया था। यह वोटिंग गुरुवार को एक्ट्राओर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) के दौरान मुंबई में तकरीबन तीन बजे हुई थी। वाडिया को छोड़कर वहां बोर्ड के सभी डायरेक्टर मौजूद थे। वाडिया वहां पर नहीं थे पर उन्होंने चार पन्नों का लेटर भिजवाया था। उसे EGM मीटिंग में सचिव ने पढ़कर सुनाया। पत्र में लिखा था कि वीडिया जानबूझकर मीटिंग में नहीं आए क्योंकि उससे पहले हुई मीटिंग्स को टाटा कंपनी ने अनुपयुक्त और शर्मनाक तरीके से किया था।
कंपनी के कुल 293.60 करोड़ शेयरधारकों में से 69.93 प्रतिशत शेयरधारकों ने मतदान में भाग लिया जिसके 70.20 प्रतिशत ने वाडिया को निदेशक मंडल से हटाने के पक्ष में मतदान किया और 28.8 प्रतिशत ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। वाडिया को बुधवार को टाटा स्टील के स्वतंत्र निदेशक पद से भी हटा दिया गया था।
पत्र में वाडिया ने टाटा पर आरोप लगाया कि मीटिंग में गिने चुने लोगों को बुलाते हैं और उन्हें ही बोलने देते हैं जिन्हें वे बोलना देना चाहते हैं। वाडिया ने यह भी लिखा था कि भारत के कॉरपोरेट इतिहास में उन्होंने पहली बार ऐसा देखा है। नुसली वाडिया ब्रिटिश मूल के पारसी बिजनेसमैन हैं। वाडिया ज्यादातर वक्त मुंबई में रहते हैं लेकिन उनके पास ब्रिटिश पासपोर्ट है। वह मोहम्मद अली जिन्ना के पोते हैं। जिन्हें पाकिस्तान का जन्मदाता कहा जाता है।