मुंबई। बसपा प्रमुख मायावती ने नोटबंदी को लेकर कराए गए नरेंद्र मोदी के सर्वे को गलत बताया है। उन्होंने गुरुवार को कहा, ‘सर्वे फेक और स्पॉन्सर्ड है, अगर पीएम में हिम्मत है तो लोकसभा भंग करें, देश में चुनाव कराएं, सही सर्वे तभी होगा।’ इससे पहले, बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी सर्वे पर सवाल उठाया। सिन्हा ने ट्वीट कर कहा, ‘हवाई किले बनाना बंद करें, अपने स्वार्थ के लिए प्लांटेड स्टोरीज और सर्वे कराना ठीक नहीं है।’ modi survey
– मायावती ने कहा- ‘पीएम के फैसले से देश के 90-95 फीसदी लोग दुखी हैं।’
– शत्रुघ्न सिन्हा ने एक और ट्वीट में कहा, ‘मुद्दे की गहराई में जाएं, गरीबों और वेल विशर्स, वोटर्स, सपोर्टर्स और महिलाओं की तकलीफ को समझें। ‘
– अपने तीसरे ट्वीट में सिन्हा ने कहा, ‘बुरे वक्त के लिए इकट्ठा की गई मांओं और बहनों की गाढ़ी कमाई की तुलना काले धन से नहीं की जानी चाहिए।’
– हालांकि बाद में सिन्हा ने इनमें से अपने 2 ट्वीट अपने ट्विटर हैंडल से हटा दिए।
– बता दें कि मोदी ने नोटबंदी के फैसले पर लोगों से राय मांगी थी। उन्होंने अपने ऐप पर लोगों से एक सर्वे में हिस्सा लेने और रेटिंग के साथ 10 सवालों के जवाब देने को कहा था।
– सर्वे के नतीजे खुद मोदी ने गुरुवार को ट्वीट कर बताए। सर्वे में शामिल 90% लोगों ने कहा है कि ब्लैकमनी से निपटने का सरकार का नोटबंदी का कदम बेहतरीन है। 73% लोगों ने इस फैसले के लिए 5 स्टार रेटिंग दी है।
– सर्वे में 24 घंटे में 5 लाख लोगों ने हिस्सा लिया। 48% लोगों ने कहा है कि नोटबंदी के फैसले से हमें दिक्कत तो हुई, लेकिन एक बड़े कदम के आगे यह मायने नहीं रखती।
– जबकि 90% लोगों ने 500 और 1000 के नोट बैन करने के मोदी सरकार के फैसले का सपोर्ट किया है। 92% लोगों ने माना है कि डिमोनेटाइजेशन से ब्लैकमनी, करप्शन और आतंकवाद को रोकने में मदद मिलेगी।
– 5 लाख लोगों में से सिर्फ 2 फीसदी लोगों ने फैसले को बेहद खराब बताया है।
अपोजिशन ने भी जताया है कड़ा एतराज
– नोटबंदी के मामले में शत्रुघ्न सिन्हा का रवैया अपोजिशन लीडर्स ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसा ही है।
– ममता और केजरीवाल का कहना है कि पीएम ने अपने इस फैसले से करप्ट नहीं, बल्कि आम लोगों को दंड दिया है। खासकर गांव के लोगों को, जिनके पास अचानक ही कैश की दिक्कत पैदा हो गई।
– अपोजिशन ने यह आरोप लगाया है कि मोदी के सर्वे को मन मुताबिक नतीजे हासिल करने के लिए डिजाइन किया गया, क्योंकि इसमें रूरल इंडिया की आवाज शामिल नहीं है। रूरल इंडिया स्मार्टफोन यूज नहीं करता है।
सिन्हा पहले भी पार्टी लाइन से अलग बोल चुके हैं
– शत्रुघ्न सिन्हा पहले भी कई मौकों पर बीजेपी की लाइन से अलग बोल चुके हैं।
– 2013 में जब बीजेपी ने यह तय कर लिया था कि गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के नाम के साथ पार्टी 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ेगी, तब सिन्हा ने कहा था कि मोदी को पीएम पद तक पहुंचाने के लिए आडवाणी और सुषमा स्वराज जैसे सीनियर नेताओं को किनारे किया जा रहा है।
– 2014 में पीएम मोदी की सरकार के गठन के बाद जब यह बात सामने आई थी कि मंत्री पद के लिए 75 वर्ष की उम्र सीमा तय होगी, उस वक्त भी शत्रुघ्न सिन्हा ने इसका विरोध किया था।
– सिन्हा ने बिहार में 2015 में हुए असेंबली इलेक्शन में कहा था कि राज्य में एनडीए की ओर से एलजेपी चीफ रामविलास पासवान सीएम पद के कैंडिडेट होंगे। उनके इस बयान ने भी पार्टी को मुश्किल में डाल दिया था। बीजेपी ने कहा था कि पार्टी की संसदीय समिति ही कैंडिडेट का नाम तय करेगी।
– बिहार के इलेक्शन कैम्पेन में दरकिनार किए जाने से नाराज सिन्हा ने नीतीश कुमार से मुलाकात कर उन्हें बिहार का बेस्ट सीएम और विकास पुरुष कहा था।
– बहरहाल, बीजेपी सोर्सेज का कहना है कि पार्टी की टॉप लीडरशिप की तरफ से साइड लाइन किए जाने के चलते सिन्हा ने ऐसा रवैया अख्तियार किया