पेशावर। पाकिस्तान ने अफगान महिला शरबत गुल को अफगानिस्तान भेज दिया। नेशनल ज्योग्राफिक्स पत्रिका के आवरण पर तस्वीर छपने के बाद हरी आंखों वाली गुल ‘अफगान गर्ल’ के नाम से मशहूर हुई थी।
यहां रहने के लिए अफगान गर्ल ने फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल किया था जिसके लिए अदालत ने उसे वापस भेजने का आदेश दिया था। तोर्खम सीमा पर मंगलवार को उसे अफगान सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया गया।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने वापस भेजने की कार्रवाई अस्थायी रूप से रोक दी थी, लेकिन गुल ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांतीय सरकार का पाकिस्तान में रहने का प्रस्ताव ठुकरा दिया।
पाकिस्तान के एक शरणार्थी शिविर में ली गई गुल की तस्वीर नेशनल ज्योग्राफिक्स के जून 1985 के अंक में आवरण पर छपी थी। उस समय गुल 12 वर्ष की थी। इस तस्वीर के सामने आने के बाद शरबत गुल अफगान युद्ध की ‘मोना लिसा’ कही गई थी।
एफआइए ने उसे फर्जी पाकिस्तानी कंप्यूटराइज्ड नेशनल आइडेंटिटी कार्ड बनवाने के आरोप में 26 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।
पेशावर में भ्रष्टाचार विरोधी एवं आव्रजन मामलों की विशेष अदालत ने इस आरोप में गुल को 15 दिनों की जेल और एक लाख दस हजार पाकिस्तानी रुपये जुर्माना किया था। सजा पूरी होने के बाद अदालत ने उसे अफगानिस्तान भेजने का भी आदेश दिया था। afghan girl