डिजिटल लेन देन को गति देने के लिए सरकार ई वॉलैट्स को यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से सीधे जोड़ने की मंजूरी प्रदान कर सकती है। ऐसा होने पर विभिन्न ई कॉमर्स कंपनियों के ई वॉलैट से भी ग्राहक सीधे किसी बैंक खाते में पैसा भेज सकेंगे। नगदी के प्रयोग को कम करने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के सरकार विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है। इससे जुड़े तमाम मुद्दों पर नीति आयोग के नेतृत्व में गठित 11 सदस्यीय समिति ने की गई है। digital transactions
सूत्रों के मुताबिक इस समिति ने ई वालैट्स को यूपीआई से सीधे तौर पर जोड़ने के अलावा जैम और डीबीटी योजना में भी निजी वॉलैट्स को मंजूरी देने को कहा है। साथ ही नगदी के हस्तांतरण को कम करने के लिए एक निर्धारित सीमा के बाद आदान प्रदान पर उपकर लगाने को भी कहा गया है। डिजिटल भुगतान को तेज गति देने के लिए सभी सरकारी भुगतान ऑनलाइन या डिजिटल तरीके से स्वीकार करने की सिफारिश की है।
तेजी से बढ़ रहा ई भुगतान
ई पेमेंट पर गूगल बीसीजी रिपोर्ट की माने तो भारत में 2013 में 1.10 करोड़ डिजिटल लेन देन हुए। 2014 में यह आंकड़ा 1.70 करोड़ पहुंच गया जबकि 2015 में फिर 2.30 करोड़ पर पहुंच गया। सरकार के मुताबिक बीते तीन साल में डिजिटल भुगतान में 50 प्रतिसत से भी ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है।
सूत्रों के मुताबिक समिति ने इस रिपोर्ट के मद्देनजर सरकार से कहा है कि ई वॉलैट की सीमा को 10 हजार किया जाए। साथ ही दक्षिणी कोरिया की तर्ज पर सभी सरकारी सेवाओं, टैक्स छूट समेत अन्य का लेनदेन भी डिजिटल माध्यम से किया जाए। याद रहे कि सरकार ने हाल ही में यूपीआई सेवा शुरू की है। इस सेवा से 26 बैंक जुड़ चुके हैं। इसके जरिए कोई भी व्यक्ति मोबाइल ऐप के जरिए रियल टाइम पर पैसा स्थानांतरित या भुगतान कर सकता। एक दिन में 50 रूपए से एक लाख रूपए तक स्थानांतरित किया जा सकता। ई वॉलैट्स को अगर इस सेवा से जोड़ दिया जाता है तो देश में बिना खाते के बैंकिंग की जा सकेगी।
गौरतलब है कि ई वॉलैट्स और यूपीआई सभी स्मार्टफोन धारकों के लिए इसलिए बहुत ही सुविधा जनक है। यूपीआई को एक मोबाइल ऐप के जरिए कई बैंक के खातों को चलाया जा सकता है। इसमें एक विकल्प आएगा जिसके जरिए कोई भी उपभोक्ता अपने कई खातों पर इस ऐप के जरिए काम करता है। जबकि मौजूदा समय ई वॉलैट्स से सिर्फ ई कॉमर्स वेबसाइट पर निर्धारित सीमा में खरीद की जा सकती है।
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