जेनेवा। दुनियाभर में महिला.पुरुषों के बीच वेतन और शिक्षा के क्षेत्र में समानता में गिरावट दर्ज की गई है। ये गिरावट आर्थिक समानता में भी देखी गई है। इस नए परिवर्तन की वजह से दुनिया एक साल में 52 साल पिछ? गई है। वर्तमान रुझानों के हिसाब से अगले 170 सालों तक महिलाओं और पुरुषों के बीच में कमाई को लेकर बना ये वैश्विक अंतर खत्म भी नहीं हो सकता। यह दावा विश्व आर्थिक मंच की एक नई रिपोर्ट में किया गया है। वहीं लैंगिक समानता के मामले में भारत पिछले साल की तुलना में 21 पायदान ऊपर चढ़ा है। gender equality
स्विट्जरलैंड स्थित मंच की वार्षिक वैश्विक लैंगिक विषमता रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य को महिलाओं और पुरुषों के बीच सबसे चुनौतीपूर्ण असमानता के रुप में सूचित किया गया है। इस रिपोर्ट में भारत लैंगिक समानता सूचकांक में 21 पायदान ऊपर उठा है। मगर भारत अभी भी 144 देशों में निराशाजनक 87वें स्थान पर है।
वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम द्वारा दी गई रैंकिंग में पाकिस्तान एक बार फिर से नीचे से दूसरे पायदान पर है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2016 के मुताबिक भारत ने पूरी तरह से प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा दाखिले में लैंगिक अंतर को खत्म कर दिया है।
दक्षिण एशिया के अन्य देशों पर नजर डालें तो बांग्लादेश 72वें स्थान पर हैं। श्रीलंका 100वें, नेपाल 110वें, मालदीव 115वें और भूटान 121वें नंबर पर है। पाकिस्तान से नीचे की रैंकिंग पाने वाला इकलौता देश यमन हैए जो इस सूची में 144वें स्थान पर है। वैश्विक स्तर पर टॉप-4 देशों में स्कैंडिनेवियाई देश शामिल हैं। आइसलैंड टॉप पर हैं। जिसके बाद फिनलैंड, नार्वे और स्वीडन का नंबर आता है। अमेरिका 45वें नंबर पर है। gender equality
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