यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के एक सदस्य सादिक़ अश्शरफ़ी ने कहा है कि अतिक्रमणकारी सऊदी अरब को भारी क्षति उठानी पड़ी है और सीमावर्ती क्षेत्रों में 4500 से अधिक सऊदी सैनिक मारे गये हैं।
सऊदी अरब जब इस बात से निराश हो गया कि वह न तो यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन की शक्ति को कम कर सकता है और न ही त्याग पत्र दे चुके यमन के पूर्व राष्ट्रपति मंसूर हादी को दोबारा सत्ता में ला सकता है तो उसने अपने पाश्विक हमलों में वृद्धि कर दी है।
साथ ही उसने यमन का ज़मीनी, हवाई और समुद्री परिवेष्टन भी तेज़ कर रखा है परंतु सऊदी अरब के पाश्विक हमलों से होने वाली बहुत अधिक क्षति के बावजूद यमनी जनता अंसारुल्लाह का समर्थन करने से पीछे नहीं हटी और यमनी जनता के विभिन्न वर्गों के मध्य यही एकता व एकजुटता सऊदी अरब के अतिक्रमणों के मुकाबले में डटे रहने का कारण बनी है और यही एकता यमनी जनता के शक्ति के कई बराबर होने का कारण बनी है और अतिक्रमणकारी सऊदी अरब को जो क्षति पहुंच रही है उसे इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।
सऊदी अरब ने 26 मार्च 2015 में अमेरिका, ब्रिटेन और क्षेत्र के कुछ अरब शासकों से समर्थन से यमन पर हमला किया था और उसे अपेक्षा थी कि वह कुछ ही दिनों में यमन पर कब्ज़ा लेगा पर उसकी यह अपेक्षा दुःस्वप्न में परिवर्तित हो गयी और यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन की शक्ति में दिन- प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है और अंसारुल्लाह आंदोलन यमनी जनता के अदम्य साहस के प्रतिरोध का प्रतीक बन गया है।
बहरहाल अंसारुल्लाह आंदोलन सऊदी अरब को जो भारी क्षति पहुंचा रहा है सऊदी अरब अब उसे छिपाने में सक्षम नहीं है।