विटामिन डी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है और हमारे शरीर पर इसके कई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ते हैं।
सूरज की रोशनी विटामिन डी को बनाने का सबसे ख़ास स्रोत है, लेकिन आप विभिन्न पूरकों की मदद से भी इसकी भरपाई कर सकते हैं या ऐसे खाद्य पदार्थ खा सकते हैं जो विटामिन डी से भरपूर हों क्योंकि इसकी कमी को सामान्य आहार से करना कठिन है।
यहां यह बताना भी जरूरी है कि शरीर में विटामिन डी की कमी के बारे में पता लगाना आसान नहीं है क्योंकि इसके लक्षण कई बार महीनों या सालों तक नजर नहीं आते, लेकिन कई बार तो लक्षण नजर ही नहीं आते। लेकिन नीचे बताए गए कुछ संकेत और लक्षण शरीर में विटामिन डी की कमी का संकेत देते हैं।
अकसर बीमार रहना
विटामिन डी प्रतिरक्षा स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करता है।
विटामिन डी बीमारी से लड़ने वाली कोशिकाओं के साथ सीधे संपर्क करता है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति अकसर बीमार रहता है, खासकर अगर उसे सर्दी या फ्लू है, तो यह विटामिन डी की कमी का संकेत हो सकता है।
थकान
थकान महसूस होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक है विटामिन डी की कमी, लेकिन लोग इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि विटामिन डी की कमी भी हर समय थकान का कारण बन सकती है। इसकी कमी से नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है, कम समय की नींद थकान को बढ़ा देती है।
हड्डी और पीठ में दर्द
हड्डियों और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना भी शरीर में विटामिन डी की कमी का संकेत है क्योंकि विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में सुधार करके हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
एक अध्ययन से पता चला है कि विटामिन डी की कमी के परिणामस्वरूप पीठ के निचले हिस्से में दर्द अधिक गंभीर होता है।
मांसपेशियों में दर्द
मांसपेशियों में दर्द के कारणों को निर्धारित करना अकसर मुश्किल होता है। इस दर्द के पीछे भी विटामिन डी की कमी बड़ी भूमिका में होती है।
चिंता
विटामिन डी की कमी को एनीमिया से भी जोड़ा जाता है क्योंकि जो लोग इससे पीड़ित होते हैं उनमें कैल्सीडिओल की कमी होती है, जो विटामिन डी का एक रूप है। विटामिन दी की कमी से एनज़ाइटी में इज़ाफ़ा होता है। इसके अलावा विटामिन डी की कमी से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
हड्डी की कमजोरी
विटामिन डी मजबूत हड्डियों के लिए आवश्यक है और इसकी कमी आपकी हड्डियों को कमजोर बना सकती है। विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों के मेटाबॉलिज़्म में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए हड्डियों में कैल्शियम और अन्य खनिजों की कमी के हालत बनते हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
दमा
प्रतिदिन एक निश्चित मात्रा में विटामिन डी की खुराक लेने से अस्थमा के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है।
डिप्रेशन
विटामिन डी की कमी भी अवसाद और चिंता का कारण बनती है।
दिल के रोग
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन डी की कमी भी धमनी और हृदय रोगों का कारण बनती है।
मधुमेह
एक अध्ययन के मुताबिक 20 साल से कम उम्र के जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
कैंसर
विटामिन डी की कमी को स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलन कैंसर सहित विभिन्न प्रकार के कैंसर से भी जोड़ा गया है।