आजकल ड्राइवरलेस कारें बहुत सुर्खियों में रहती हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर ऐसी कारों के सामने एक्सीडेंट वाली स्थिति हो तो उन्हें क्या फैसला करना चाहिए?
एक ताजा अध्ययन में यह सवाल लोगों के सामने रखा गया। दरअसल यह ऐसा सवाल है जिस पर शायद उतनी चर्चा नहीं हो रही है जितनी होनी चाहिए। आए दिन आप बिना ड्राइवर वाली कार की तकनीकी खूबियों के बारे में खूब पढ़ते होंगे, लेकिन उससे जुड़े नैतिकता के सवालों पर ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही है।
ऐसे में, अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने एक सर्वे प्रकाशित किया है। सर्वे में लोगों ने इस बारे में अपनी राय दी है कि ड्राइवरलेस कार के लिए एक्सीडेंट की स्थिति से बचना मुमकिन ना तो हो उसे नैतिक तौर पर क्या फैसले करने चाहिए।
यह जानकारी ड्राइवरलेस कारों के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करने में काम आ सकती है। इसके साथ ही जिन देशों और इलाकों में ऐसी कारें चलेंगे, वहां इनसे जुड़े कानून बनाने में भी इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
सर्वे में शामिल लोगों ने पशुओं से ज्यादा इंसानों की जान बचाने पर जोर दिया है। साथ ही लोगों ने उम्रदराज लोगों से ज्यादा बच्चों को बचाने का समर्थन किया है। हालांकि ये बातें दुनिया में हर जगह लागू नहीं होतीं। सर्वे में भी सांस्कृतिक मतभेद देखे गए हैं। मसलन कई एशियाई देशों में बहुत से लोग इस हक में नहीं है कि बूढ़े लोगों की तुलना में हमेशा बच्चों की जान बचाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
इस सर्वे में एक बहुभाषी ऑनलाइन गेम शामिल था जिसे रिसर्चरों ने ‘मोरल मशीन’ नाम दिया है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों के सामने ऐसी काल्पनिक परिस्थितियां रखी गई जब ड्राइवरलेस कार के सामने एक्सीडेंट वाले हालात हैं और वह दुविधा की स्थिति में है कि क्या करे।
इस सर्वे में दुनिया भर के बीस लाख लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें ड्राइवरलेस कार के लिए सुझाए गए उनके चार करोड़ फैसले शामिल हैं। दुनिया के 130 देशों में इस सर्वे के लिए अतिरिक्त डाटा भी जुटाया गया। रिसर्चरों ने लैंगिकता, आमदनी, आयु, शिक्षा और धार्मिक विश्वास जैसे आधारों पर इस डाटा का विश्लेषण किया।
वैसे ड्राइवरलेस कारों के लिए कुछ नीतियां बनाई गई हैं। जर्मनी में ऑटोमेटेड एंड कनेक्टेड ड्राइविंग की नैतिकता से जुड़े एक आयोग ने 2017 में प्रस्ताव दिया था: “अगर ऐसी स्थिति हो जिसमें हादसे से बचना मुश्किल है तो किसी भी व्यक्तिगत गुण (आयु, लिंग, शारीरिक या मानसिक अवस्था) के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। पीड़ितों को किसी भी आधार पर एक दूसरे के मुकाबले में प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए। ऐसे में प्रोग्रामिंग को कुछ इस तरह किया जाना चाहिए कि हादसे में कम से कम लोग हताहत हों।”
यह गेम ऑनलाइन मौजूद है। आप भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं और मुश्किल सवालों को हल करने में योगदान दे सकते हैं।