फ्रांस और चीन में शुरूआती अध्ययनों में कोविड-19 के खिलाफ इन दवाओं से काफी उम्मीद बंधी है, जिसकी वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसी हफ्ते इन्हें भगवान की तरफ से एक तोहफा बताया.
क्या एक दशक पुरानी सस्ती दवाओं की जोड़ी नई कोरोना वायरस महामारी का इलाज हो सकती है? दुनिया भर के देशों के शोधकर्ता हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (ऐछसीक्यू) और क्लोरोक्विन (सीक्यू) तक पहुंच बढ़ा रहे हैं. ये दोनों सम्बंधित कंपाउंड हैं और क्विनीन के सिंथेटिक रूप हैं. क्विनीन सिनकोना पेड़ों से आने वाला एक पदार्थ है जिसका सैकड़ों सालों से मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होता आया है.
ऐछसीक्यू दोनों में से कम जहरीला है और इसका इस्तेमाल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा के रूप में गठिया और ल्यूपस के इलाज के लिए भी किया जाता है.
फ्रांस और चीन में शुरूआती अध्ययनों में कोविड-19 के खिलाफ इन दवाओं से काफी उम्मीद बंधी है, जिसकी वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसी हफ्ते इन्हें भगवान की तरफ से एक तोहफा बताया. हालांकि विशेषज्ञ तब तक सावधानी बरतने को कह रहे हैं जब तक ट्रायल में इनकी प्रभावकारिता की पुष्टि नहीं हो जाती.
चीन ने सीक्यू का इस्तेमाल फरवरी में एक ट्रायल के दौरान 134 मरीजों पर किया था और अधिकारियों का कहना है कि वो बीमारी की तीव्रता कम करने में प्रभावकारी सिद्ध हुई थी. लेकिन इन नतीजों को अभी छापा नहीं गया है. चीन में सांस के विशेषज्ञ जौंग नानशान ने पिछले सप्ताह एक प्रेस वार्ता में कहा था कि इस ट्रायल के डाटा को व्यापक रूप से सार्वजनिक किया जाएगा. नानशान महामारी की रोकथाम के तरीकों पर काम करने के लिए गठित एक सरकारी टास्क फोर्स का नेतृत्व कर रहे हैं.
मारबुर्ग वायरस
इसे दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस कहा जाता है. वायरस का नाम जर्मनी के मारबुर्ग शहर पर पड़ा जहां 1967 में इसके सबसे ज्यादा मामले देखे गए थे. 90 फीसदी मामलों में मारबुर्ग के शिकार मरीजों की मौत हो जाती है.
फ्रांस में शोधकर्ताओं की एक टीम ने पिछले सप्ताह बताया कि उन्होंने कोविड-19 के 36 मरीजों का अध्ययन किया और पाया कि एक समूह को देने के बाद उस समूह में वायरल लोड भारी मात्रा में गिर गया. इस टीम का नेतृत्व मार्सेल स्थित आईऐछयू-मेडितेरानी इन्फेक्शन के दिदिएर राऊल कर रहे हैं. टीम ने पाया कि परिणाम विशेष रूप से साफ तब थे जब इसका इस्तेमाल एजिथ्रोमाइसिन के साथ किया गया. एजिथ्रोमाइसिन एक आम एंटीबायोटिक है जिसका इस्तेमाल दूसरे दर्जे के बैक्टीरियल संक्रमण का अंत करने के लिए किया जाता है.
यह भी साबित हो चुका है कि ऐछसीक्यू और सीक्यू एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ लैब में कारगर साबित हुए थे और पिछले सप्ताह सेल डिस्कवरी में छपे एक लेख में चीन की एक टीम ने एक संभावित कार्य विधि भी बताई.
रिवरसाइड में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में सेल बायोलॉजी के प्रोफेसर करीन ल रोक ने समझाया कि ऐछसीक्यू और सीक्यू दोनों मिलकर वायर की सेल में घुसने की क्षमता पर असर डालने की कोशिश करते हैं और उन्हें बढ़ने से भी रोकते हैं. लेकिन उन्होंने यह भी कहा, “मैं अभी भी बड़े क्लीनिकल ट्रायल के परिणामों के छपने का इन्तजार कर रही हूं जिनमें ऐछसीक्यू की प्रभावकारिता साबित की गई हो.”
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के संक्रामक बीमारियों के विभाग के मुखिया एंथोनी फॉसी का कहना है, “उम्मीद का मतलब सबूत नहीं होता है और जो छोटे अध्ययन अभी तक किये गए हैं उनसे सिर्फ “ऐनिकडोटल” सबूत निकला है.”
इसके अलावा चीन में 30 मरीजों पर हुए एक छोटे अध्ययन ने दिखाया कि ऐछसीक्यू सामान्य देख-रेख से कुछ भी बेहतर नहीं था.वैज्ञानिकों का कहना है कि पक्के तौर पर जानने का एकमात्र तरीका है रैंडमाइज्ड क्लीनिकल ट्रायल करना.