प्रवासी वन्यजीवों पर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बड़े ही हैरतअंगेज़ खुलासे करती है। इससे पता चलता है कि प्रवासी जानवरों की संख्या बहुत तेजी से कम हो रही है, इतना ही नहीं कुछ प्रजातियां तो विलुप्त होने की कगार पर हैं।
इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि दुनिया की 22 प्रतिशत प्रवासी प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं, जबकि सभी प्रजातियों में से आधी प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं। इन जानवरों के सामने आने वाले बड़े खतरे उनका शोषण, निवास स्थान का नुकसान और मानवीय गतिविधियों का परिणाम हैं।
दुनिया की प्रवासी प्रजातियों की रक्षा के लिए चार दशक पहले कई देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसे जंगली जानवरों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर कन्वेंशन (सीएमएस) के रूप में जाना जाता है।
इन जानवरों की संख्या और स्वास्थ्य पर होने वाले पहले वैश्विक मूल्यांकन में शोधकर्ताओं ने 1189 प्रजातियों की पड़ताल के बाद पाया कि पांच में से एक प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा है। कुछ प्रजातियों के लिए तो स्थिति बहुत खराब है। इसके अलावा सम्मेलन के तहत सूचीबद्ध 97% मछलियाँ खतरे में हैं।
#MigratorySpecies 🌐 are in decline, & the global extinction risk is increasing, according to the first-ever @UNEP report 'State of the World's Migratory Species' launched at #CMSCOP14.
Find out what this landmark report reveals: https://t.co/qVhPEy5Exe@unepwcmc @BonnConvention pic.twitter.com/MheCrntAZa
— United Nations Geneva (@UNGeneva) February 14, 2024
कन्वेंशन में सूचीबद्ध प्रजातियों में से 75 फीसदी अपने प्राकृतिक आवास में गिरावट होने से प्रभावित हुईं हैं। इन प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण, निगरानी वाली 58 फीसदी जगहें मानव-जनित दबाव के अस्थिर स्तर का सामना कर रही थीं।
कन्वेंशन में सूचीबद्ध 70 फीसदी प्रजातियां अत्यधिक दोहन होने के कारण प्रभावित हुईं। अत्यधिक दोहन का मतलब जानबूझकर होने वाले शिकार, मछली पकड़ने और आकस्मिक कब्जे से है। इन सबके अलावा जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण ने भी प्रवासी प्रजातियों को प्रभावित किया है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने कहा कि रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि अस्थिर मानवीय गतिविधियां प्रवासी प्रजातियों के भविष्य को नुकसान पहुंचा रही हैं। उनका कहना है कि ये जानवर न केवल पर्यावरणीय परिवर्तनशीलता का सूचकांक प्रदान करते हैं बल्कि पृथ्वी के पर्यावरण की जटिल प्रणाली को सक्रिय रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।