फ़्राँस के नीस शहर में आयोजित तीसरा यूएन महासागर सम्मेलन शुक्रवार को समाप्त हो गया। इस समापन पर जो राजनैतिक घोषणापत्र पारित किया गया उसमे 170 से अधिक देशों द्वारा समर्थन के साथ महासागर की रक्षा के लिए तुरन्त क़दम उठाए जाने का आहवान किया गया है।
इस सम्मेलन के महासचिव एवं आर्थिक व सामाजिक मामलों के लिए यूएन महासचिव औरली जुनहुआ ने बताया कि यह ऐतिहासिक सप्ताह न केवल आशा, बल्कि ठोस प्रतिबद्धताओं, स्पष्ट दिशा और तेज़ गति से आगे बढ़ने के साथ पूरा हुआ है।
सम्मलेन में ‘नीस महासागर कार्रवाई योजना’ को आकार दिया गया, जोकि दो हिस्सों वाला एक फ़्रेमवर्क है: एक राजनैतिक घोषणापत्र, और सरकारों, वैज्ञानिकों, यूएन एजेंसियों, नागरिक समाज द्वारा लिए गए 800 से अधिक स्वैच्छिक संकल्पों का पुलिन्दा।
इन संकल्पों में गहरे समुद्र में स्थिति पारिस्थितिकी तंत्रों के प्रति जागरुकता के अलावा युवजन द्वारा पैरोकारी प्रयास, विज्ञान व नवाचार में क्षमता निर्माण और अन्तर-सरकारी सन्धियों पर मुहर लगाने जैसे अन्य संकल्प हैं।
भूमध्यसागर के तट पर नीस शहर में आयोजित होने वाले इस सम्मलेन की साझा मेज़बानी फ़्राँस और कोस्टा रीका ने की। इस पाँच दिवसीय सम्मेलन में 60 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों व सरकार प्रमुखों सहित 15 हज़ार से अधिक लोग जमा हुए।
सम्मलेन में महत्वाकाँक्षी घोषणाएँ की गईं। जहाँ योरोपीय आयोग द्वारा महासागर संरक्षण, विज्ञान, और सतत ढंग से मछली पकड़ने के लिए एक अरब यूरो के निवेश की बात कही गई है।
फ़्रेंच पोलेनेशियाने विश्व में सबसे बड़े समुद्री संरक्षित इलाक़े को विकसित करने का संकल्प जताया है। स्पेन ने पाँच नए समुद्री संरक्षित इलाक़ों की घोषणा की है।
जर्मनी ने समुद्री जलसतह के भीतर, बाल्टिक व उत्तरी सागर से आयुध सामग्री हटाने के लिए 10 करोड़ यूरो के एक कार्यक्रम की घोषणा की है।
न्यूज़ीलैंड ने प्रशान्त महासागर क्षेत्र में देखरेख व्यवस्था को मज़बूती देने के लिए पाँच करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
पनामा व कैनेडा की अगुवाई में 37 देशों के एक समूह ने जल सतह के नीचे ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए एक नई पहल शुरू की है।