देहरादून : आखिरकार छह दिन चली लंबी जिद्दोजहद के बाद उत्तराखंड में भाजपा ने नए मुख्यमंत्री के रूप में पूर्व मंत्री व झारखंड के प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम पर मुहर लगा दी। Trivendra
शुक्रवार को देहरादून में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में त्रिवेंद्र सिंह रावत को सर्वसम्मति से नेता चुना गया।
चौथी निर्वाचित सरकार के मुखिया बनाए गए त्रिवेंद्र राज्य के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
बैठक के बाद भाजपा ने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया। त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में शपथ ग्रहण करेंगे।
उत्तराखंड में भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में एतिहासिक बहुमत हासिल किया। राज्य की 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में आई भाजपा के लिए उत्तराखंड में निर्वाचित सरकार बनाने का दूसरा मौका है।
इससे पहले वर्ष 2007 के दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता में आई थी। हालांकि नौ नवंबर 2000 को, जब उत्तराखंड अलग राज्य के रूप में वजूद में आया था, उस वक्त भी अंतरिम विधानसभा में भाजपा का बहुमत होने के कारण पहली अंतरिम सरकार बनाने का अवसर भी भाजपा को ही मिला था।
यह सरकार लगभग सवा साल चली थी। अब तक उत्तराखंड में कुल सात मुख्यमंत्रियों ने सत्ता संभाली है, जबकि भुवन चंद्र खंडूड़ी दो बार मुख्यमंत्री बने। इस लिहाज से त्रिवेंद्र सिंह रावत नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
गुजरी 11 मार्च को नतीजे आने के बाद नए मुख्यमंत्री को लेकर तमाम चर्चाएं हुई मगर त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम शुरू से ही आगे रहा। त्रिवेंद्र के साथ ही पूर्व मंत्री व विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रकाश पंत भी अंत तक इस होड़ का हिस्सा बने रहे।
इनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन साल पहले कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज भी प्रबल दावेदारों में शामिल रहे।
गैर विधायक को मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना पैदा होने पर पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को भी मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार के रूप में देखा गया। उधर, एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री व नैनीताल सांसद भगत सिंह कोश्यारी भी मैदान में थे।
पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से किसी निर्वाचित विधायक को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने के साफ संकेत दे दिए जाने के बाद निशंक और कोश्यारी मुख्यमंत्री बनने की होड़ से अलग हो गए।
इस बीच 15 मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत को अचानक राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बुलावे ने लगभग साफ कर दिया कि केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम पर ही मुहर लगाई है।
त्रिवेंद्र समर्थकों में जोश ने इस बात की पुष्टि भी कर दी। शुक्रवार अपराह्न देहरादून के एक होटल में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर सर्वसम्मति से मुहर लगा दी गई।
लगभग एक घंटा चली बैठक में त्रिवेंद्र के नाम का प्रस्ताव मुख्यमंत्री पद के दो अन्य प्रबल दावेदारों सतपाल महाराज व प्रकाश पंत ने किया जबकि अनुमोदन करने वालों में पूर्व मंत्री मदन कौशिक, बिशन सिंह चुफाल, डॉ. हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य के अलावा ऋतु भूषण खंडूड़ी व प्रेम सिंह राणा शामिल रहे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की अध्यक्षता में हुई विधायक दल की बैठक में पार्टी के उत्तराखंड चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा तथा धर्मेंद्र प्रधान, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू के साथ ही बैठक के लिए नियुक्त केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर व सरोज पांडे ने विधायकों की राय जानी।
बैठक में राज्य के सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी व रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह भी उपस्थित रहीं।
विधायक दल द्वारा सर्वसम्मति से नेता चुनने के बाद भाजपा नेताओं ने राजभवन जाकर राज्यपाल डॉ. कृष्णकांत पाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के नेतृत्व में राजभवन जाने वाले नेताओं में नवनियुक्त नेता विधायक दल त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री व प्रदेश चुनाव प्रभारी जेपी नड्डा, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर व सरोज पांडे, केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा, सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद महारानी राज्यलक्ष्मी शाह समेत सभी 57 भाजपा विधायक शामिल थे।
राज्यपाल ने भाजपा विधायक दल के नवनियुक्त नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत को शपथ ग्रहण व सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया।