पिछले सप्ताह आने वाले चक्रवात मिचौंग ने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश को प्रभावित किया। क्लाइमेट ट्रेंड्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश में तकरीबन 29 लाख लोग चक्रवातों की चपेट में हैं।
भारत में चक्रवाती तूफान का खतरा बीते वर्षों की तुलना में बढ़ता जा रहा है। भारतीय तटों पर इस साल छह चक्रवातों के कारण भारी तबाही हुई है। जिसके चलते अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। इस आपदा से सैकड़ों हज़ारों लोग हताहत होते हैं। वैज्ञानिक इसका सबसे बड़ा कारण अल-नीनो को मानते हैं।
क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट से होने वाला खुलासा बताता है कि 2015 से 2022 के बीच आने वाले चक्रवातों में 44 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। इन आपदाओं से करीब 2531 लोगों की मौत हुई है। लगभग 33 लाख लोग जो समुद्र तट के 5 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं, वह भी खतरे की सीमाओं में बताये गए हैं।
हाल के वर्षों में चक्रवातों में वृद्धि पर विशेषज्ञों का मानना है कि चक्रवाती तूफानों में वृद्धि का प्रमुख कारण अल-नीनो, हिंद महासागर द्विध्रुवीय और मैडेन-जूलियन दोलन जैसी समुद्री-वायुमंडलीय घटनाओं की एक शृंखला है।
- रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2020 में चक्रवात अम्फान से पश्चिम बंगाल इनफ्रास्ट्रक्चर और फसलों को एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- वर्ष 2019 में चक्रवात फैनी लगभग 12,000 करोड़ के आर्थिक नुकसान का कारण बना। इस आपदा ने ओडिशा के तटीय जिलों में 5 लाख से अधिक घरों को क्षतिग्रस्त किया था।
- वर्ष 2013 में चक्रवात फैलिन के कारण होने वाले नुक्सान का अनुमान लगभग 8902 करोड़ आँका गया था।
अलनीनो के मज़बूत होने के पीछे वैज्ञानिक कई कारण बताते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के अनुसार जलवायु वैज्ञानिक का मानना है कि महासागर जलवायु परिवर्तन से 93 % से अधिक अतिरिक्त गर्मी को अवशोषित करते हैं। हिंद महासागर के गर्म होने के कारण महासागर-चक्रवात की स्थिति उत्पन्न होती है। यही कारण है कि हाल के दशकों में परस्पर बदलाव ने अल-नीनो को मजबूत किया है।