खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले आज आकाश में एक ख़ास घटना देख सकेंगे। इसे ‘अर्थशाईन’ के नाम से जाना जाता है। इस घटना को आप शाम लगभग 9:30 बजे तक देख पाएंगे और इसके बाद यह अस्त हो जाएगा।
‘अर्थशाईन’ को ‘दा विंची चमक’ भी कहा जाता है। यह एक खगोलीय घटना है और उस समय होती है जब पृथ्वी की रोशनी चंद्रमा के उस हिस्से को रोशन करती है जो सूर्य की रोशनी से नहीं चमक रहा होता है।
गौरतलब है कि लियोनार्डो दा विंची ने 1510 के करीब इस घटना का पहली बार स्केच बनाया था। यही कारण है कि अर्थशाइन को ‘दा विंची चमक’ भी कहा जाता है।
हिन्दू मान्यता के अनुसार, आज बुधवार के बेहद खास दिन अबूझ मुहूर्त माना जाने वाला अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शाम को जब आसमान में पश्चिम दिशा में हंसियाकार चांद नज़र आएगा तो उसकी वास्तविकता यह होगी कि हंसियाकार भाग तो तेज चमक के साथ दिखेगा, लेकिन हल्की चमक के साथ पूरा गोलाकार चांद भी देखा जा सकेगा।
आकाश में होने वाली यह यह घटना साल में दो बार होती है। इस खगोलीय घटना के समय चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी लगभग तीन लाख 63 हजार 897 किलोमीटर होगी और इसका 9.9 प्रतिशत भाग ही पूरी तरह प्रकाशित होगा।
खास खगोलीय घटना के दौरान इसी समय विशेष पर चंद्रमा का बाकी अप्रकाशित भाग भी कम चमक के साथ नज़र आएगा। इसे बगैर किसी यंत्र की मदद से खाली आंखों से भी देखा जा सकेगा।
बताते चलें कि इतिहास के प्रमुख चित्रकार लियोनार्डो द विंची ने सोलहवीं सदी के प्रारम्भ में पहली बार स्केच के अर्थशाईन की अवधारणा को रखा था।
जानकार बताते हैं कि चंद्रमा अपने तक पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश का लगभग 12 प्रतिशत परावर्तित (reflects) करता है। वहीँ पृथ्वी अपनी सतह पर आने वाले सम्पूर्ण सूर्य के प्रकाश का तक़रीबन 30 प्रतिशत परावर्तित करती है। पृथ्वी द्वारा परावर्तित प्रकाश जब चंद्रमा पर पहुंचता है तो चंद्रमा की सतह का गहरा नज़र आने वाला भाग रोशन हो जाता है।