हाल ही में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट सोशल मीडिया द्वारा युवाओं के जीवन में निभाई जा रही नकारात्मक और सकारात्मक भूमिका पर प्रकाश डालती है।
कैलिफोर्निया में कॉमन सेंस मीडिया और होप-लैब (Common Sense Media and Hopelab) द्वारा जारी रिपोर्ट का कहना है कि जहां सोशल मीडिया युवाओं के लिए हानिकारक साबित हो रहा है, वहीं इसके सामाजिक संचार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना पहुंच आदि जैसे लाभों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
होप-लैब में शोध विभाग की प्रमुख एमी ग्रीन ने कहा कि सोशल मीडिया और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ज्यादातर चर्चा और सुर्खियां नुकसान पर केंद्रित हैं, लेकिन इस शोध से पता चलता है कि मुद्दा नुकसान तक ही सीमित नहीं है बल्कि जटिल है।
कॉमन सेंस मीडिया और होपलैब की नई रिपोर्ट से पता चलता है कि कैसे सोशल मीडिया विभिन्न समुदायों के युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य में मदद और नुकसान दोनों कर सकता है।
उन्होंने कहा- “अगर हम वास्तव में युवा लोगों की भलाई में सुधार करना चाहते हैं तो हमें उनके अनुभवों को सुनना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अनजाने में सोशल मीडिया के महत्वपूर्ण सकारात्मक लाभों तक उनकी पहुंच को अवरुद्ध न करें।”
इस रिपोर्ट के हवाले से शोधकर्ताओं ने कहा कि सोशल मीडिया के कारण चिंता, अवसाद, आत्मघाती विचार या प्रयास जैसे मानसिक स्वास्थ्य संकट लगातार वैश्विक और राष्ट्रीय चर्चाओं या जांच का केंद्र रहे हैं, हालांकि कई अन्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों में भी महत्वपूर्ण कारक भूमिका निभाते हैं।
यह रिपोर्ट उस शृंखला की तीसरी रिपोर्ट है जो 14-22 वर्ष की आयु के युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और खुशहाली में सोशल मीडिया की भूमिका पर नज़र रखती है।
शिकागो विश्वविद्यालय में एनओआरसी द्वारा आयोजित, यह अध्ययन विशिष्ट रूप से स्वयं युवा लोगों के साथ सह-निर्मित किया गया था, जिन्होंने न केवल सर्वेक्षण सामग्री के संबंध में दिशा और इनपुट प्रदान की, बल्कि फोकस समूहों और व्यक्तिगत साक्षात्कारों के माध्यम से परिणामों को प्राथमिकता देने और व्याख्या करने के लिए शोध टीम के साथ भी काम किया।