जोशीमठ के हालत पर विशेषज्ञों का मानना है कि जल्द ही यह तबाही तराई के इलाकों तक पहुंचने वाली है और देश के बाकी हिस्से भी इसकी चपेट में होंगे।
हिमालय के क्षेत्र में बारिश, बादल फटना, ग्लेशियर टूटना या फिर बाढ़ और ज़मीन दरकने के साथ भूकंप के कारण तबाही का सदा का इतिहास रहा है। इसकी ख़बरें जब तब अखबारों और न्यूज़ चैनल में भी जगह बना लेती हैं। मगर इस बार उत्तराखंड जिस आपदा से रूबरू है उसने साडी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। जोशीमठ के हालत चीख चीख कर यहाँ की बदहाली का बयान कर रहे हैं। दरकने वाले स्थानों से लोगों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया गया है मगर आस पास के इलाक़े से भी विस्थापन शुरू हो गया है।
आज हालात सामने हैं और चीख चीख कर बता रहे हैं कि इन कम उम्र पहाड़ों पर ज़रूरत से ज़्यादा ज़िम्मेदारी ने इन्हे नाराज़ कर दिया है।
ये हादसे बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही हैं। इस खतरे को जलवायु चक्र में हो रहे परिवर्तन से भी जोड़कर देखा जा रहा है मगर इन आपदाओं के पीछे इंसानी हवस से जुड़ी करतूतों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
संकट में सिर्फ जोशीमठ ही नहीं, समूचा हिमालय है!https://t.co/QBS6VU6fs9
— NewsClick (@newsclickin) January 12, 2023
पर्वतीय इलाकों में जिस तरह धर्म और सैर तफरीह के नाम पर पर्यटन को विकसित किया गया है और उसकी आपूर्ति के लिए होटल और रिसोर्ट्स बनाये जा रहे हैं उसने इन पहाड़ों को झकझोर कर रख दिया है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि जल्द ही यह तबाही तराई के इलाकों तक पहुंचने वाली है और देश के बाकी हिस्से भी इसकी चपेट में होंगे।
सभी जानते हैं कि हिमालय पर्वतमाला दुनिया में सबसे कमउम्र पर्वतमाला है। इनका इतिहास तपस्या और सुंदरता से जुड़ा था मगर इंसान की खुदगर्ज़ी ने इसे विनाशकारी विकास से जोड़कर बाक़ी इलाक़ों को भी गंभीर खतरे में डाल दिया है। इसके बचाव की बातें तो आधी सदी से ज़ोर शोर से की जा रही हैं मगर विकास के शोर में वह आवाज़ें हमेशा दब जाती रही हैं।
पांच साल पहले डरबन में हिमालय क्षेत्र के भविष्य को लेकर काफी गहरी चिंताएं किये जाने के बाद कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं तलाशा जा सका। पिछले एक-डेढ़ दशक में रियो से शुरू होकर पेरिस तक सालाना जलवायु वार्ताएं संपन्न हुईं। जिसमे हमारे प्रतिनिधि शिरकत करते रहे मगर नतीजा सिफर रहा। आज हालात सामने हैं और चीख चीख कर बता रहे हैं कि इन कम उम्र पहाड़ों पर ज़रूरत से ज़्यादा ज़िम्मेदारी ने इन्हे नाराज़ कर दिया है।