सुप्रीम कोर्ट ने न्यूजक्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई का आदेश दे दिया है। यूएपीए मामले में रिमांड पर क़ैद प्रबीर पुरकायस्थ की रिमांड को ‘अवैध’ बताया है।
सुप्रीम कोर्ट का इस गिरफ्तारी पर कहना है कि रिमांड से पहले उन्हें या उनके वकील को गिरफ्तारी के आधार नहीं बताए गए थे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने न्यूजक्लिक संस्थापक की गिरफ़्तारी तथा रिमांड को अवैध करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करने का आदेश देते हुए यह भी कहा कि रिमांड से पहले उन्हें या उनके वकील को गिरफ्तारी के आधार नहीं बताए गए थे।
इस संबंध में जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के मुताबिक़, इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई झिझक नहीं है कि लिखित रूप में गिरफ्तारी के लिए रिमांड कॉपी नहीं दी गई, जिसके चलते उन्होंने इस गिरफ्तारी को अवैध बताया है। पुलिस के लिए गिरफ्तारी के समय आरोपी को गिरफ्तारी का लिखित आधार बताना जरूरी होता है।
न्यूजक्लिक संस्थापक पुरकायस्थ पर पोर्टल के माध्यम से राष्ट्र-विरोधी प्रचार को बढ़ावा देने तथा कथित चीनी फंडिंग का आरोप था जिसके चलते ये गिरफ्तारी हुई थी।
ब्रेकिंग
सुप्रीम कोर्ट ऑनलाइन समाचार पोर्टल @newsclickin के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की याचिका पर आज फैसला सुनाएगा, जिन्होंने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक मामले के संबंध में @DelhiPolice द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी है।#UAPA pic.twitter.com/yvWVKdnVVX
— बार & बेंच – Hindi Bar & Bench (@Hbarandbench) May 15, 2024
शीर्ष अदालत ने आज गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत इस गिरफ्तारी और रिमांड को ‘अवैध’ बताते हुए प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई के आदेश जारी कर दिए हैं।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायलय ने 30 अप्रैल को न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी के पश्चात उनके वकील को सूचित किए बग़ैर ही मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में जल्दबाजी के लिए दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए थे।
जस्टिस बीआर गवई के साथ जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि प्रबीर पुरकायस्थ के वकील को रिमांड आवेदन दिए जाने से पहले ही रिमांड आदेश पारित किया गया।
गौरतलब है कि बीते वर्ष दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक के ऑफिस तथा समाचार पोर्टल के संपादकों और पत्रकारों के घरों पर छापा मारा और इसी क्रम में 3 अक्टूबर को पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया था।
बताते चलें कि अक्टूबर 2023 में जस्टिस गवई की अगुवाई वाली बेंच ने पुलिस रिमांड का आधार नहीं बताने पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।