सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुनवाई करते हुए सख़्त टिप्पणी की है। चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड ने इसे लोकतंत्र का मज़ाक बताया और कहा कि हम लोकतंत्र की इस तरह से हत्या नहीं होने दे सकते।
डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सुनवाई के दौरान, वीडियो अदालत में चलाया गया है। रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह को वीडियो में दिख रहे अपने आचरण को स्पष्ट करने के लिए अगली तारीख पर अदालत के समक्ष उपस्थित रहना होगा।
सोमवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में “मतपत्रों को विकृत” करने के मामले में संबंधित अधिकारी को अपने आचरण के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए 19 फरवरी को शीर्ष अदालत में तलब किया गया है। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
बताते चलें कि 30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा की जीत के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अदालत का रुख़ किया था। इन दोनों ही पार्टियों का आरोप है कि इस चुनाव में पीठासीन अधिकारी ने धांधली की है और संख्या बल ना होने के बावजूद बीजेपी की जीत का एलान किया है।
आरोप में कहा गया है कि पीठासीन अधिकारी द्वारा कांग्रेस के आठ वोट अमान्य करार दिए गए थे जबकि नतीजे भाजपा के खिलाफ थे।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पहले पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में अपना विरोध जताया, वहां से राहत ना मिलने पर वो सुप्रीम कोर्ट पहुँचे थे।
New video of Anil Masih during Chandigarh Mayor Election. That reaction when he realises there is a CCTV camera facing him. Watch it till the end 😭pic.twitter.com/c5DZxwu1ZR
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) February 5, 2024
आप पार्षद का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की पेनड्राइव में मौजूद सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा, “यह लोकतंत्र का मजाक है। वह लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। क्या यह उनका व्यवहार है? एक रिटर्निंग अधिकारी, जो कैमरे को देखता है और मतपत्र को विकृत कर देता है?”
शीर्ष अदालत ने रिटर्निंग अधिकारी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “यह स्पष्ट है कि उसने मतपत्रों को विरूपित किया है। इस व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।”
गौरतलब है कि अधिकतम पार्षद होने के बावजूद आप-कांग्रेस गठबंधन मेयर का मुकाबला हार गया क्योंकि 36 में से आठ वोटों को पीठासीन प्राधिकारी ने अवैध घोषित कर दिया था। इस मतदान में भाजपा को 16 वोट मिले, जबकि आप-कांग्रेस गठबंधन के पास 20 पार्षद होने के बावजूद 12 वोट रह गये। मसीह मनोनीत पार्षद हैं और इनके पास पास वोट देने का अधिकार नहीं है।