आज का दिन यानी 20 मार्च विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है। गौरैया की जनसंख्या में होने वाली कमी के कारण ये दिन अस्तित्व में आया। पहला विश्व गौरैया दिवस 2010 में दुनिया के कई हिस्सों में मनाया गया।
भारत सरकार द्वारा गौरैया पर साल 2010 में एक डाक टिकट भी जारी किया गया है।
वातावरण में बढ़ती नेटवर्क तरंगों, कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग, इमारतों की कारीगरी में बदलाव और घरों से गायब बगीचों के कारण पिछले कुछ वर्षों में गौरैयों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। रेडिएशन के कारण बड़ी संख्या में इनके पलायन के मामले सामने आये।
गौरैया मुख्य रूप से यूरोप और एशिया में पाया जाने वाला छोटा पंछी है। करीब 16 सेंटीमीटर आकर के इस पंछी का वज़न 25 से 40 ग्राम के बीच होता है। इनमे नर का आकार मादा से कुछ बड़ा होता है और नर पर ही भूरे चकते ज़्यादा पाए जाते हैं। खास कर सर पर गहरा भूरा रंग मादा की अपेक्षा नर में ज़्यादा होता है जिससे इसे दूर से ही पहचाना जा सकता है।
गौरैया की औसत आयु 4-5 वर्ष है। इनमे साल में 2-3 बार अंडे देने की क्षमता है। इन अण्डों से 10-12 दिन बाद बच्चे निकल आते हैं।
Protect Sparrows, Preserve Biodiversity!🌍
On World Sparrow Day 2024, let's spread awareness about the importance of sparrows in our ecosystem and make efforts to protect them.🐦#SaveSparrows #BiodiversityPreservation #WorldSparrowDay #WorldSparrowDay2024 https://t.co/HFSKsa47At
— Ministry of Steel (@SteelMinIndia) March 20, 2024
देहरादून में आर्क यानी एक्शन एंड रिसर्च फॉर कंजर्वेशन इन हिमालयाज के फाउंडर प्रतीक पंवार की संस्था साल 2010 से गौरेया को बचाने की मुहिम में जुटी हुई हैैं।पिछले डेढ़ दशक में देहरादून में करीब एक से डेढ़ लाख गौरेया की संख्या बढ़ी हैैं।
प्रतीक पंवार के मुताबिक़ 2010 से पहले दून में अचानक गौरेया के संख्या में गिरावट देखने को मिली। उस समय आर्क सहित कई अन्य संस्थाओं व पर्यावरण प्रेमियों ने गौरेया को बचाने की मुहिम शुरू की।
आज विश्व गौरैया दिवस पर कई बड़े संस्थानों और हस्तियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाने का प्रयास किया है। बीते कई वर्षों के प्रयास के परिणाम स्वरुप इस क्षेत्र में कुछ कामयाबी भी मिली है और ख़त्म होती गौरैया का अस्तित्व बचा रह सका है।