नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल का कहना है कि लोकसभा चुनावों के लिए सपा-बसपा के बीच कोई भी समझौता 2 ‘अवसरवादी’ लोगों के राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए केवल सीमित अवधि की साझेदारी होगा और यह दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं होगा।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यूपी में बीजेपी के सहयोगी अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को विश्वास है कि राजग 2019 में 2014 के लोकसभा चुनावों के अपने प्रदर्शन को दोहराएगी। 2014 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेतृत्व वाले राजग को लोकसभा की 80 में से 73 सीटें मिली थीं, जिनमें अपना दल के दो सांसद शामिल थे।
समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पिछला आम चुनाव अलग-अलग लड़ा था। उन्होंने संकेत दिए हैं कि दोनों दल भाजपा से मुकाबला करने के लिए 2019 का आम चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। अनुप्रिया पटेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ’’उत्तर प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति को पता है कि सपा और बसपा मोदीजी को रोकने के लिए एक साथ आ रहे हैं।
सपा-बसपा हमेशा एक-दूसरे के प्रतिद्बंद्बी रहे हैं। सपा-बसपा गठबंधन की बातचीत को अवसरवाद’ बताते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के लोग इस गठबंधन को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इन दो दलों की पूरी राजनीति ’’एक-दूसरे के विरोध’’ पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि ये दो दलों का गठबंधन नहीं होगा बल्कि राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए 2 व्यक्तियों के बीच साझेदारी होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा और अपना दल के मुकाबले इन दो अवसरवादियों के बीच कोई तालमेल नहीं है। मायावती का नाम लिए बिना अनुप्रिया ने कहा कि गठबंधन में रहना बसपा के शीर्ष नेतृत्व के स्वभाव में नहीं है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि ये दोनों पार्टियां एक साथ 2019 का आम चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन अगले राज्य विधानसभा चुनावों में उनका साथ रहना लगभग असंभव है। अगले आम चुनावों में राजग की संभावनाओं पर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कद के बराबर का कोई नेता नहीं है।