नयी दिल्ली 27 जुलाई : सरकार ने आज कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर खेती करने से किसानों की लागत घटी है और उत्पादन में एक चौथाई से अधिक वृद्धि हुई है।
लोकसभा में प्रश्नकाल में कीटनाशकों के प्रयोग के बारे में प्रश्न के अनुपूरक उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि देश में करीब 15 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये गये हैं और उससे किसानों का एक डेटाबेस तैयार हुआ है। इसके साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने 1326 करोड़ रुपए खर्च करके एक अध्ययन किया है।
उन्होंने अध्ययन की जानकारी देते हुए कहा कि अगर एक किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर खेती करता है तो उसे उर्वरक के उपयोग में 15 से 20 प्रतिशत की कमी आती है। इसी के साथ उत्पादन में 25 से 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कटिबद्ध हैं और इन कदमों से किसानों की आय निश्चित रूप से बढ़ी है।
कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं आईसीएआर केन्द्रों के अलावा कई गांवों में मृदा प्रयाेगशालाओं में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये जाते हैं।
श्री चौधरी ने कहा कि देश में करीब सात हजार मेलों का आयोजन करने किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपयोगिता की जानकारी दी गयी है। कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं आईसीएआर केन्द्रों के अलावा कई गांवों में मृदा प्रयाेगशालाओं में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये जाते हैं।
महाराष्ट्र में किसानों को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से मदद के बारे में एक सवाल पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि एनडीआरएफ के माध्यम से उपज के अलावा हुए नुकसान की भरपाई की जाती है क्योंकि उपज के नुकसान की भरपायी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत की जाती है। नुकसान का आकलन एक अंतरमंत्रालयीन समूह करता है।