नासा ने मंगल ग्रह पर इंसान के पहुंचने के रास्ते में आने वाली पांच मुश्किलों की एक सूची बनाई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इन मुश्किलों का अध्ययन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र और लैब का इस्तेमाल किया है। नासा के मुताबिक ये पांच मुश्किलें हैं-विकिरण, अलगाव, धरती से दूरी, गुरुत्वकर्षण और बंद वातावरण।
नासा के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक कई शोध से नासा को इस बात की अहम जानकारी मिली है कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में इंसानी शरीर और दिमाग कैसा काम करेगा। लाल ग्रह पर जाने की सबसे पहली चुनौती विकिरण को लेकर है, जिसे इंसानी आंखों से देखा नहीं जा सकता।
दूसरे अंतरिक्ष यात्री को चाहे कितना भी प्रशिक्षण दिया गया हो, लेकिन थोड़े समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद व्यवहार में समस्या आने लगती है। ऐसे में मंगल पर जाने वालों को चुनने में काफी सतर्कता बरतनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनमें कई साल तक अंतरिक्ष में रहने की क्षमता हो।
इसके अलावा धरती से मंगल की दूरी करीब 14 करोड़ मील है। चांद तक पहुंचने के लिए अंतरिक्षयात्रियों को मुश्किल से तीन दिन की यात्रा करनी पड़ी थी, लेकिन मंगल तक का सफर करीब तीन साल का है।
यही नहीं वहां अलग तरह के गुरुत्वाकर्षण का भी सामना करना होगा। मंगल का तापमान, दबाव और शोर भी एक बड़ी चुनौती होगी।