गैस व धूल के बादलों के बीच जब किसी तारे में विस्फोट होता है, तो वह बहुत ज्यादा चमकदार हो जाता है। सुपरनोवा कहे जाने वाली इस घटना के दौरान खगोलविदों को एक ऐसे तारे के बारे में पता चला है, जो सुपरनोवा विस्फोट के बाद भी बचा रह गया। विस्फोट के बाद अब पहले से ज्यादा चमकदार हो गया है।
खगोलविदों ने एक ऐसे तारे को तलाश किया है जो सुपरनोवा विस्फोट के बाद भी न सिर्फ सुरक्षित रह बल्कि विस्फोट के बाद इसकी चमक में और भी ज़्यादा बढ़ोत्तरी देखने को मिली। इस तारे के बारे में ये जानकारी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दी है।
नासा को इस सम्बन्ध में हबल स्पेस टेलीस्कोप से जानकारी मिली है। तेली स्कोप से देखने यह एक सफेद छोटे आकर वाला बौना तारा नज़र आता है। इस सफेद तारे को सुपरनोवा विस्फोट में खुद को खत्म कर लेने वाले तारे का शेष भाग बताया जा रहा है।
यह तारा पृथ्वी से 108 मिलियन
प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।
कैलिफोर्निया के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक कर्टिस मैककली के अनुसार ये सफेद नाता तारा एनजीसी 1309 नामक एक स्पाइरल गैलेक्सी में रहता है जो हमारी आकाशगंगा की लगभग तीन चौथाई है। उनके मुताबिक़ यह तारा पृथ्वी से 108 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। गौरतलब है कि विस्फोट की ताकत के आधार पर तारे का आकार, संरचना और कई प्रकार के सुपरनोवा होते हैं।
वैज्ञानिक इस प्रकार के लगभग 50 सुपरनोवा का पता लगा चुके हैं जिनमे जीवित सफेद नाते ‘जॉम्बी तारे’ की पहचान पहली बार हुई है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के विस्फोट में तारे नष्ट नहीं होते बल्कि उनके अवशेष बने रहते हैं जिसे वैज्ञानिक जॉम्बी स्टार्स का नाम देते हैं। आगे वो बताते हैं कि ये मर तो गए हैं, मगर पूरी तरह से नहीं। अभी तक वैज्ञानिक इस प्रकार के लगभग 50 सुपरनोवा का पता लगा चुके हैं जिनमे जीवित सफेद नाते ‘जॉम्बी तारे’ की पहचान पहली बार हुई है।
आगे की जानकारी से पता चलता है कि यह सफेद नाता तारा जॉम्बी ऑर्बिट में एक अन्य तारे के साथ जुड़ा हुआ है जिसे बाइनरी सिस्टम कहते हैं। बाइनरी सिस्टम के कारण इस तारे का द्रव्यमान सूर्य के बराबर हो गया है। जिससे इसके कोर में थर्मोन्यूक्लियर रिएक्शंस के परिणामस्वरूप सुपरनोवा विस्फोट हुआ। वैज्ञानिक इस बात पर हैरान हैं कि विस्फोट के बाद इस तारे को मर जाना चाहिए मगर अभी तक ऐसा नहीं हुआ।