अमरीका, इस्राईल और कुछ अरब देशों की तिगड़ी ने लेबनान में 6 मई को आयोजित हुए संसदीय चुनाव में हिज़्बुल्लाह को पछाड़ने की भरपूर कोशिश की, लेकिन नतीजे घोषित होने के बाद इस तिगड़ी को लेबनान में मुंह छिपाने की जगह नहीं मिली।
सोमवार को चुनाव नतीजों की घोषणा कर दी गई, जिसके बाद हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा, जो लोग यह दावे कर रहे थे कि अब हिज़्बुल्लाह की लोकप्रियता घट गई है, लेबनानी जनता ने अपने वोटों से ऐसे लोगों का मुंह बंद कर दिया है।
कुछ लेबनानी और विदेशी शक्तियां हमेशा से ही प्रतिरोधी आंदोलन हिज़्बुल्लाह के हथियारों और प्रतिरोधी गतिविधियों को निशाना बनाते रहे हैं, जबकि यही लोग इस्राईल के परमाणु बमों और उसके युद्ध उन्माद को नज़र अंदाज़ कर देते हैं।
हालांकि लेबनान और क्षेत्रीय जनता ने इस्राईल के मुक़ाबले में हमेशा से ही प्रतिरोध का समर्थन किया है।
क्षेत्रीय जनता का मानना है कि इस्राईल और वर्चस्ववादी शक्तियां कभी भी कमज़ोर पक्ष को गंभीरता से नहीं लेती हैं, इसलिए इनसे अगर अपना हक़ लेना है तो उनके सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाना बंद करना होगा और ईंट का जवाब पत्थर से देना होगा।
हिज़्बुल्लाह आंदोलन जनता की इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहा है, यही कारण है कि दुश्मनों के लाख दुष्प्रचार के बावजूद, दिन प्रतिदिन न केवल उसकी लोकप्रियता बढ़ रही है, बल्कि उसकी सामरिक शक्ति में में वृद्धि हो रही है।
लेबनान के संसदीय चुनाव के नतीजों ने जहां देश में हिज़्बुल्लाह विरोधियों को परेशान किया है, उससे कहीं ज़्यादा विदेशी दुश्मनों विशेषकर इस्राईल, सऊदी अरब और अमरीका को निराश कर दिया है।
इस्राईली अधिकारियों ने चुनावों में हिज़्बुल्लाह की जीत और देश एवं क्षेत्र में बढ़ती लोकप्रियता पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि अब लेबनान का मतलब है हज़्बुल्लाह और हिज़्बुल्लाह का मतलब है लेबनान, लेबनान=हिज़्बुल्लाह।