नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के दूसरे चरण में 26 में से 18 कैबिनेट मंत्रियों ने अब तक अपने संसदीय क्षेत्र में किसी गांव को गोद नहीं लिया है। इस योजना की घोषणा मोदी ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के अपने पहले भाषण में की थी। यह योजना अब दूसरे चरण में प्रवेश कर गई है और गांव के चयन के लिए अंतिम तिथि इस साल 31 जनवरी थी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दूसरे चरण में मोदी के अलावा सिर्फ आठ मंत्रियों ने अब तक गांव गोद लिए हैं। सुषमा स्वराज, रामविलास पासवान, जेपी नड्डा, अशोक गजपति राजू, वीरेंद्र सिंह, थावर चंद गहलोत, स्मति ईरानी और प्रकाश जावड़ेकर गांव गोद लेने वाले कैबिनेट मंत्रियों में शामिल हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, शेष 18 कैबिनेट मंत्रियों ने अब तक गांव गोद नहीं लिया है। एसएजीवाई के तहत सभी राजनीतिक दलों के सांसदों को गांव गोद लेना जरूरी है, ताकि इन गांवों को आधुनिक गांव में बदला जा सके और इन क्षेत्रों में भौतिक एवं संस्थागत अवसंरचना विकसित करने की जिम्मेदारी ली जा सके।
लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 252 सांसदों सहित सभी 795 सांसदों को वर्ष 2019 तक तीन-तीन गांव विकसित करने हैं। पहले चरण में 795 सांसदों में से 701 ने गांवों को गोद लिया था, जबकि दूसरे चरण में प्रतिक्रिया कमजोर रही और केवल 102 सांसदों ने ही गोद लेने के लिए किसी गांव का चयन किया है। सांसदों ने योजना के लिए अलग से धन न होने की शिकायत की है। एसएजीवाई के तहत अलग से किसी बजटीय आवंटन का प्रावधान नहीं है, लेकिन सांसदों से कहा गया कि वे अपने चुने गए गांवों के लिए धन की व्यवस्था ग्रामीण आवास के वास्ते इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी जारी 21 योजनाओं को किए जाने वाले आवंटन के माध्यम से करें। एसएजीवाई का उद्देश्य मूलत: चयनित गांवों में सभी तबकों के जीवन स्तर और जीवन गुणवत्ता में सुधार करना है।